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सुदूर गांव कुमड़ी में रौशन हुआ अंधेरा: मेघाहातुबुरु प्रबंधन ने लगाए दो और सोलर स्ट्रीट लाइट

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सीजीएम आर. पी. सेल्वम के वादे के तहत सीएसआर योजना में सारंडा के ग्रामीणों को मिली बड़ी सौगात

रिपोर्ट: शैलेश सिंह

सारंडा के ग्रामीणों को मिली नई उम्मीद

नक्सल प्रभावित सारंडा क्षेत्र के सुदूरवर्ती गांव कुमड़ी में अंधेरे में जी रहे ग्रामीणों को अब राहत मिली है। मेघाहातुबुरु खदान प्रबंधन ने अपने कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी (सीएसआर) योजना के तहत गांव में दो और सोलर स्ट्रीट लाइट्स स्थापित की हैं। इससे पहले भी प्रबंधन द्वारा दो सोलर लाइट लगाई गई थीं। अब गांव में कुल चार सोलर लाइट्स लग चुकी हैं, जिससे स्थानीय लोगों को काफी सहूलियत मिल रही है।

सीजीएम श्री आर. पी. सेल्वम ने निभाया अपना वादा

सेल, मेघाहातुबुरु खदान के मुख्य महाप्रबंधक (सीजीएम) श्री आर. पी. सेल्वम ने पहले ही वादा किया था कि सारंडा के सुदूर इलाकों में बुनियादी सुविधाओं को सशक्त किया जाएगा। उसी वादे के अनुरूप आज यह कार्य पूरा किया गया। श्री सेल्वम ने कहा था कि खदान क्षेत्र के आस-पास रहने वाले लोगों की समस्याओं का समाधान सीएसआर योजना के जरिए किया जाएगा। इसी दिशा में यह एक सकारात्मक कदम है।

सीजीएम आर पी सेलबम

रात में सुरक्षित हुआ आवागमन, बच्चों को पढ़ाई में सहूलियत

स्थानीय ग्रामीणों ने बताया कि सोलर लाइट लगने से गांव में रात के समय आवाजाही आसान हो गई है। खासकर महिलाएं और बुजुर्ग अब बिना डर के बाहर निकल सकते हैं। वहीं, स्कूली बच्चों को भी पढ़ाई करने और होमवर्क पूरा करने में अब अंधेरे की परेशानी नहीं होगी। ग्रामीणों ने मेघाहातुबुरु प्रबंधन के इस प्रयास की सराहना की है।

प्रबंधन की ओर से जारी रहेगा विकास का सिलसिला

मेघाहातुबुरु प्रबंधन ने आश्वासन दिया है कि आने वाले दिनों में सारंडा के अन्य गांवों में भी इसी तरह की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। सौर ऊर्जा के जरिए नक्सल प्रभावित क्षेत्रों को रोशन करना प्रबंधन की प्राथमिकता है। इस प्रयास से न केवल लोगों का जीवन स्तर सुधरेगा, बल्कि ग्रामीणों और प्रबंधन के बीच विश्वास का सेतु भी मजबूत होगा।

ग्रामीणों ने जताया आभार

गांव कुमड़ी के लोगों ने इस पहल के लिए मेघाहातुबुरु प्रबंधन को धन्यवाद दिया। ग्रामीणों का कहना है कि यह पहल उनके लिए एक नई शुरुआत है, जो न सिर्फ रोशनी लाएगी, बल्कि विकास की दिशा में उम्मीद भी जगा रही है।

सौर ऊर्जा से ग्रामीणों को रोशनी और राहत दोनों मिल रही है – यह एक छोटा कदम है, लेकिन बदलाव की बड़ी शुरुआत बन सकता है।

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