Search

“पंचायत में नहीं चाहिए भ्रष्टाचार—विजेश सिंह का नारा: पंचायत बनेगी विकास का मॉडल”

पिरो प्रखंड के नारायणपुर (पचमा) पंचायत में युवा चेहरा उभर कर सामने, अगर सीट रही अनारक्षित तो विजेश सिंह लड़ेंगे चुनाव

हर हाथ में काम, हर गांव में विकास—विजेश सिंह का सपना

भोजपुर जिला के पिरो प्रखंड अंतर्गत नारायणपुर (पचमा) ग्राम पंचायत में आगामी पंचायत चुनाव को लेकर धीरे-धीरे माहौल बनना शुरू हो गया है। गांव-गांव में चर्चा है कि अगर यह सीट इस बार अनारक्षित (जेनरल) रही, तो पचमा गांव के रहने वाले युवा विजेश सिंह अपने किस्मत आजमाएंगे।

विजेश सिंह खुद इस बात को लेकर आश्वस्त हैं और अभी से ही गांव-गांव जाकर जनसंपर्क अभियान तेज कर दिए हैं। उनसे बातचीत करने पर साफ झलकता है कि उनके पास गांव के विकास को लेकर एक ठोस योजना और दूरदर्शी सोच है।

“नया सोच, नया पंचायत—युवाओं का नेतृत्व जरूरी”

विजेश सिंह की सबसे बड़ी ताकत उनकी शिक्षा, युवावस्था और सामाजिक समरसता के प्रति झुकाव है। वह कहते हैं—

“पंचायत में अब केवल जाति, धर्म और वंशवाद के नाम पर वोट नहीं चलना चाहिए। विकास, ईमानदारी और पारदर्शिता ही मुख्य मुद्दा होना चाहिए।”

उनके समर्थन में गांव के कई वरिष्ठ और युवा वर्ग के लोग भी नजर आते हैं।

हर जाति, हर समुदाय से मजबूत पकड़

पचमा गांव में विजेश सिंह की पहचान एक ऐसे व्यक्ति के रूप में है जो सभी जातियों और समुदायों के साथ एक समान व्यवहार करते हैं। चाहे वह दलित बस्ती हो या सवर्ण टोला, हर जगह उनका सहज आना-जाना और उठना-बैठना है।

विकास की पूरी रूपरेखा तैयार:

विजेश सिंह खुद बताते हैं कि अगर जनता उन्हें मौका देती है, तो पंचायत को आदर्श ग्राम पंचायत बनाने के लिए वह नीचे लिखे बिंदुओं पर विशेष रूप से काम करेंगे:

  • स्वच्छता अभियान: पूरे पंचायत में नियमित सफाई व्यवस्था, कचरा प्रबंधन और साफ-सुथरी गली-नाली बनाना।
  • सड़क निर्माण: हर गांव की गली को पक्की सड़क से जोड़ना, जिससे बारिश में भी आवागमन बाधित न हो।
  • शिक्षा: सरकारी स्कूलों में पढ़ाई की गुणवत्ता सुधारना, टीचरों की उपस्थिति सुनिश्चित कराना।
  • स्वास्थ्य: पंचायत में स्वास्थ्य उपकेंद्र की बेहतर व्यवस्था, नियमित स्वास्थ्य शिविर।
  • स्वरोजगार: गांव के युवाओं और महिलाओं को स्वरोजगार के अवसर दिलाना।
  • मनरेगा में पारदर्शिता: मनरेगा कार्यों में भ्रष्टाचार खत्म कर हर मजदूर को सही समय पर मजदूरी भुगतान सुनिश्चित कराना।
  • शुद्ध पेयजल व्यवस्था: सभी घरों तक पाइपलाइन से स्वच्छ जल पहुंचाना।
  • हरित पंचायत योजना: पर्यावरण के संरक्षण हेतु हर साल गांवों में हज़ारों की संख्या में पेड़ लगाना।
  • ग्राम सभा का सशक्तिकरण: हर योजना का चयन ग्राम सभा से, पारदर्शी प्रक्रिया।
  • आपसी विवाद का समाधान: पंचायत में आपसी झगड़ों को ग्राम सभा से मिल-बैठकर सुलझाना।

“मौका मिला तो पंचायत को मॉडल बनाएंगे”

विजेश सिंह कहते हैं—

“आज भी कई पंचायतों में विकास योजनाएं कागज पर ही रह जाती हैं। मैं चाहता हूं कि हमारी पंचायत ऐसी बने कि लोग उदाहरण दें कि देखो, नारायणपुर-पचमा कैसे बदल गया।”

उनकी इस सोच को गांव के युवा वर्ग में भी समर्थन मिल रहा है।

सोशल मीडिया का भी हो रहा इस्तेमाल

विजेश सिंह पुराने ढर्रे के नेता नहीं हैं। वह सोशल मीडिया का भी भरपूर उपयोग कर रहे हैं। व्हाट्सएप ग्रुप, फेसबुक पेज के जरिए वह अपने विचार और योजनाएं लोगों तक पहुंचा रहे हैं। गांव के युवाओं में इसे लेकर काफी उत्साह है।

गांव-गांव में जनसंपर्क अभियान

विजेश सिंह जब भी गांव आते हैं तो गांव के अलग-अलग टोलों में जाकर चाय पर चर्चा, चौपाल और बैठकें करते हैं। वह खुद लोगों के घर जाकर और लोगों से मिलकर उनकी समस्याएं सुन रहे हैं।

“मनरेगा में सबसे बड़ा घोटाला—इस पर लगाम जरूरी”

विजेश सिंह का मानना है कि पंचायत स्तर पर सबसे अधिक भ्रष्टाचार मनरेगा में होता है। मजदूरों के नाम पर फर्जी बिल, घटिया सामग्री और दलाली का खेल चलता है।

वह कहते हैं:

“अगर जनता ने मौका दिया, तो मैं सबसे पहले मनरेगा में सुधार करूंगा। पारदर्शिता लाने के लिए ग्राम सभा से अनुमोदन लेकर ही योजना बनेगी और मजदूरों को पूरा भुगतान समय पर मिलेगा।”

पर्यावरण पर विशेष फोकस: हर पंचायतवासी लगाए एक पौधा

विजेश सिंह की योजना में हर पंचायतवासी को एक पौधा लगाने के लिए प्रेरित करना शामिल है। वह चाहते हैं कि गांव की हर सड़क, हर गली, हर बगीचा हरियाली से भर जाए।

पंचायत चुनाव में मुकाबला दिलचस्प

यद्यपि अभी तक चुनाव की अधिसूचना नहीं आई है, लेकिन नारायणपुर-पचमा पंचायत में विजेश सिंह की सक्रियता से चुनावी माहौल गर्म होने लगा है।

स्थानीय विश्लेषक मानते हैं कि अगर सीट सामान्य रही, तो विजेश सिंह एक मजबूत उम्मीदवार के रूप में उभर सकते हैं।

“जाति नहीं, विकास चाहिए”—नारा गूंजने लगा

सोशल मीडिया पोस्ट पर विजेश सिंह का यह स्लोगन गूंजने लगा है—

“जाति नहीं, विकास चाहिए। पंचायत में अब ईमानदार नेतृत्व चाहिए।”

परिवारिक पृष्ठभूमि भी साफ-सुथरी

विजेश सिंह का परिवार भी सामाजिक रूप से सक्रिय है और उनकी कोई राजनीतिक या आपराधिक पृष्ठभूमि नहीं है। गांव के लोग इसे भी एक सकारात्मक पहलू मान रहे हैं।

निष्कर्ष: क्या पचमा से उठेगा नया नेतृत्व?

आगामी पंचायत चुनाव में नारायणपुर-पचमा ग्राम पंचायत में विजेश सिंह जैसे युवा, शिक्षित और जोश से भरे उम्मीदवार की दावेदारी यह संकेत देती है कि ग्रामीण समाज में भी अब नई सोच और बदलाव की लहर उठ रही है।

अगर जनता ने उन्हें अवसर दिया, तो क्या वह अपने वादों को जमीन पर उतार पाएंगे? यह तो समय ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है—

“पंचायत चुनाव में इस बार मुद्दा होगा: विकास, ईमानदारी और पारदर्शिता।”

Related

कस्तूरबा गांधी बालिका विद्यालय में स्वास्थ्य शिविर के दौरान बच्चों को दी गई जागरूकता, डॉक्टर ऑन व्हील्स कार्यक्रम आयोजित रिपोर्ट: शैलेश सिंह। कस्तूरबा गांधी बालिका

डीसी-एसपी की संयुक्त ब्रीफिंग में पारदर्शी और कदाचारमुक्त आयोजन का संकल्प, कुल 15399 अभ्यर्थी शामिल होंगे रिपोर्ट: शैलेश सिंह। पश्चिमी सिंहभूम जिला अंतर्गत गृह रक्षक

IWMP योजना के तहत ग्रामीणों को मशीन संचालन का प्रशिक्षण भी दिया गया सतत आजीविका और महिला सशक्तिकरण को मिलेगा बढ़ावा रिपोर्ट: शैलेश सिंह। दिनांक

विद्यार्थियों में तेज गणना और तर्कशील सोच विकसित करने की पहल वैदिक गणित का परिचय, गणित को बनाया सरल और रोचक रिपोर्ट: शैलेश सिंह। केन्द्रीय

Recent News

Scroll to Top