अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में AAI और एमिटी विश्वविद्यालय के बीच ऐतिहासिक समझौता
वरिष्ठ खेल संवाददाता ।
झारखंड के पूर्व मुख्यमंत्री एवं भारतीय तीरंदाजी संघ (AAI) के अध्यक्ष श्री अर्जुन मुंडा की उपस्थिति में आज दिल्ली में तीरंदाजी संघ और एमिटी विश्वविद्यालय के बीच एक ऐतिहासिक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए गए। यह समझौता भारतीय तीरंदाज़ों को खेल के साथ-साथ शिक्षा के क्षेत्र में भी उत्कृष्टता प्राप्त करने का अवसर प्रदान करेगा।
CHAMPS स्कॉलरशिप कार्यक्रम से खिलाड़ियों को मिलेगा नया प्लेटफॉर्म
इस MoU के तहत CHAMPS (Champion Archers Mentorship Program for Scholarship) नामक एक विशेष स्पोर्ट्स स्कॉलरशिप कार्यक्रम की शुरुआत की जाएगी। इसका उद्देश्य भारत के सीनियर, जूनियर और पैरा तीरंदाज़ों को न केवल उच्च स्तरीय खेल प्रशिक्षण प्रदान करना है, बल्कि उन्हें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की सुविधा भी देना है।
खिलाड़ी बनेंगे पढ़े-लिखे और पेशेवर — खेल और शिक्षा का अनूठा संगम
श्री अर्जुन मुंडा ने कहा:
“यह पहल भारतीय तीरंदाजी को एक नई दिशा देने वाली है। हम चाहते हैं कि हमारे खिलाड़ी मैदान में गोल्ड जीतें, लेकिन साथ ही शिक्षित और जागरूक नागरिक भी बनें।”
उन्होंने यह भी कहा कि CHAMPS स्कॉलरशिप सिर्फ एक आर्थिक सहायता योजना नहीं, बल्कि यह खिलाड़ियों के समग्र विकास का माध्यम बनेगी।
क्या है CHAMPS स्कॉलरशिप की खास बातें?
- सीनियर, जूनियर और पैरा-आर्चर्स के लिए विशेष सुविधा
- एमिटी विश्वविद्यालय द्वारा उच्च गुणवत्ता की शिक्षा
- खेल और पढ़ाई में संतुलन का अवसर
- प्रतियोगिता, मेंटरशिप, करियर गाइडेंस और स्किल डेवलपमेंट का समावेश
खिलाड़ियों के लिए भविष्य के नए रास्ते खुलेंगे
इस समझौते से न केवल खिलाड़ियों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धा की तैयारी में मदद मिलेगी, बल्कि वे भविष्य में कोचिंग, स्पोर्ट्स मैनेजमेंट, फिटनेस ट्रेनिंग, मनोविज्ञान, या अन्य पेशेवर क्षेत्रों में भी करियर बना सकेंगे।
AAI और एमिटी की साझेदारी — राष्ट्रीय खेल नीति को मिलेगा बल
यह साझेदारी भारत सरकार की खेलो इंडिया और शिक्षा को जोड़ने वाली योजनाओं को मजबूती प्रदान करेगी। यह पहल यह संदेश देती है कि खेल और शिक्षा साथ-साथ चल सकते हैं — और एक सशक्त, समर्थ और समर्पित खिलाड़ी तैयार किए जा सकते हैं।
निष्कर्ष:
भारतीय तीरंदाजी संघ और एमिटी विश्वविद्यालय के बीच हुआ यह MoU एक क्रांतिकारी कदम है, जो यह सुनिश्चित करता है कि हमारे खिलाड़ी मैदान के भीतर ही नहीं, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में विजेता बनें। अर्जुन मुंडा की पहल और दृष्टिकोण से यह स्पष्ट है कि भारत अब खिलाड़ियों को सिर्फ मेडल विजेता नहीं, बल्कि समग्र व्यक्तित्व वाले राष्ट्र निर्माता के रूप में तैयार कर रहा है।