छऊ कलाकारों ने किया गुरुओं का सम्मान, कहा – गुरु भारतीय संस्कृति की आत्मा हैं
सरायकेला, 10 जुलाई 2025।
“गुरु ब्रह्मा गुरु विष्णु गुरु देवो महेश्वरः…” मंत्रोच्चार और भक्ति भाव से सरायकेला राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र गुरु पूर्णिमा के पावन अवसर पर गुरुओं के चरणों में समर्पित हो गया। सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन द्वारा आयोजित ‘गुरु वंदन समारोह’ में छऊ कलाकारों ने अपने पूज्य गुरुओं एवं शिक्षाविदों का सम्मान कर भारतीय संस्कृति की गुरु-शिष्य परंपरा को सजीव किया।
कलाकारों ने किया गुरुओं का पूजन और चरण वंदन
गुरु पूर्णिमा पर सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के कलाकारों ने संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार प्राप्त छऊ गुरुओं को सम्मानित किया। इस अवसर पर गुरु विजेंद्र पटनायक, गुरु तरुण भोल, गुरु संतोष कुमार कर (काशी), गुरु शुशील कुमार आचार्य, एवं गुरु आशिष कुमार कर को अंगवस्त्र, स्मृति चिह्न और पुष्पगुच्छ अर्पित कर श्रद्धा पूर्वक सम्मानित किया गया।
गुरु के बिना जीवन अधूरा – मनोज कुमार चौधरी
कार्यक्रम में एसोसिएशन के संरक्षक मनोज कुमार चौधरी ने कहा,
“भारत की संस्कृति में गुरु को सर्वोच्च स्थान प्राप्त है। दोहा में भी कहा गया है — गुरु गोविंद दोऊ खड़े, काके लागूं पाय, बलिहारी गुरु आपनो, जिन गोविंद दियो बताय। यानी परमात्मा से पहले गुरु की वंदना की जाती है।”
अज्ञान से ज्ञान की ओर ले जाते हैं गुरु – भोला मोहंती
अध्यक्ष भोला मोहंती ने कहा कि गुरु भारतीय संस्कृति में पूजनीय स्थान रखते हैं। वे केवल ज्ञान नहीं, बल्कि जीवन जीने की दृष्टि और नैतिक मूल्यों का संचार करते हैं। उन्होंने कहा कि छऊ नृत्य की परंपरा को आगे बढ़ाने में गुरुओं की भूमिका अमूल्य है।
बिना गुरु सफलता संभव नहीं – सुदीप कवी
कार्यक्रम के दौरान एसोसिएशन के सचिव सुदीप कवी ने कहा,
“गुरु के बिना जीवन में सफलता की कल्पना भी नहीं की जा सकती। वे अंधकार से प्रकाश की ओर ले जाने वाले प्रेरक बल होते हैं।”
सम्मान समारोह में दिखा सांस्कृतिक समर्पण
गुरुओं को सम्मानित करने के साथ ही कलाकारों ने गुरु वंदना के स्वर और नृत्य-आसनों के माध्यम से अपनी श्रद्धा प्रकट की। इस आयोजन ने गुरु-शिष्य परंपरा को पुनः जीवंत किया और युवा कलाकारों में ऊर्जा का संचार किया।
उपस्थित रहे अनेक गणमान्य व कलाकार
कार्यक्रम में उत्कल युवा एकता मंच के रूपेश साहू, नीरज पटनायक, गजेंद्र मोहंती, विजय दोरोगा, शिवनाथ मिश्रा, पंकज साहू, राकेश कवी सहित बड़ी संख्या में छऊ कलाकार एवं संगीतप्रेमी उपस्थित रहे।
कार्यक्रम का समापन सभी गुरुओं के सामूहिक आशीर्वाद एवं सांस्कृतिक संवाद के साथ हुआ। इस आयोजन ने सरायकेला में न केवल गुरु-शिष्य संबंधों को नया आयाम दिया बल्कि छऊ परंपरा को भी गौरवशाली रूप से प्रस्तुत किया।