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नगर पंचायत बनी ‘नरक पालिका’, सरायकेला में रथ मेला की व्यवस्था चरमराई

गंदगी, जलजमाव और वसूली से त्रस्त नगरवासी, मेला परिसर में फैली बदबू और संक्रमण का खतरा—मनोज चौधरी का प्रशासन पर बड़ा आरोप

सरायकेला।
सरायकेला नगर पंचायत क्षेत्र में आयोजित रथ मेला इन दिनों अपनी गरिमा से अधिक गंदगी और प्रशासनिक लापरवाही के लिए सुर्खियों में है। जहां एक ओर दूर-दराज से श्रद्धालु भगवान जगन्नाथ के दर्शन और मेले में भाग लेने पहुंच रहे हैं, वहीं दूसरी ओर नगर पंचायत की लापरवाही ने इस धार्मिक आयोजन को नारकीय बना दिया है।

बारिश के कारण गुंडिचा मंदिर के आसपास कीचड़, कूड़े और गंदगी का अंबार लग गया है। श्रद्धालुओं को पग-पग पर जलजमाव, दुर्गंध और अस्वच्छता से जूझना पड़ रहा है। स्वच्छ भारत मिशन की खुलेआम धज्जियां उड़ रही हैं, लेकिन नगर पंचायत के प्रशासक व पदाधिकारी इस गंभीर स्थिति से आंखें मूंदे हुए हैं।

वर्तमान प्रशासक पर मनोज चौधरी का हमला – “वह नालायक प्रशासक हैं”

नगर पंचायत के पूर्व उपाध्यक्ष एवं मेला कमेटी के अध्यक्ष मनोज कुमार चौधरी ने नगर प्रशासन पर जमकर हमला बोला है। उन्होंने तीखा आरोप लगाते हुए कहा—

“सरायकेला नगर पंचायत अब नगर पालिका नहीं बल्कि ‘नरक पालिका’ बन चुकी है। वर्तमान प्रशासक पूरी तरह गैर जिम्मेदार और भ्रष्ट हैं। उन्हें न शहर की सफाई से मतलब है, न जनता की परेशानी से। वे सिर्फ अवैध वसूली में व्यस्त रहते हैं।”

चौधरी ने कहा कि जब चुने हुए जनप्रतिनिधियों के नेतृत्व में मेला का आयोजन होता था, तो रोजाना साफ-सफाई कराई जाती थी, जगह-जगह ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव होता था। परंतु आज हालात ऐसे हैं कि कई मोहल्लों में मच्छरों का प्रकोप है और बीमारियों का खतरा बढ़ गया है।

“न दिखते हैं प्रशासक, न होती है साफ-सफाई”

चौधरी ने दावा किया कि वर्तमान प्रशासक कार्यालय में शायद ही कभी दिखाई देते हों।

“अगर आते भी हैं तो चेंबर में बैठकर ठेकेदारों से वसूली करके निकल जाते हैं। उन्हें सरायकेला के धार्मिक और सांस्कृतिक आयोजनों से कोई मतलब नहीं। रथयात्रा जैसे भव्य धार्मिक पर्व की साफ-सफाई व्यवस्था तक पर गंभीर नहीं हैं।”

श्रद्धालु और आम नागरिक हो रहे बीमारियों के शिकार

बारिश के मौसम में गंदगी और जलजमाव के कारण मेले में आने वाले लोगों के संक्रमित होने की आशंका लगातार बनी हुई है। नगर के कई मोहल्लों में मलेरिया, डेंगू जैसी बीमारियों के फैलने का खतरा मंडरा रहा है, लेकिन नगर पंचायत बेफिक्र है।

न तो मेला परिसर में नियमित रूप से सफाई की जा रही है, न ही ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव। फूड स्टॉल के पास कचरे के ढेर लगे हैं, नालियां जाम हैं और गंदे पानी से दुर्गंध फैल रही है।

“घटिया कार्यशैली का खामियाजा भुगत रहे हैं नगरवासी”

चौधरी ने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा—

“नगर पंचायत की बदहाल व्यवस्था और निकम्मी कार्यशैली का खामियाजा आम जनता को भुगतना पड़ रहा है। धर्मस्थलों और उत्सवों को उपेक्षा का शिकार बनाना जनता के आस्था का अपमान है।”

उन्होंने जिला प्रशासन से अविलंब हस्तक्षेप करने की मांग की है और कहा कि यदि व्यवस्था में सुधार नहीं किया गया तो आंदोलन का रास्ता अपनाया जाएगा।


📢 जनता पूछ रही है – क्या रथयात्रा जैसे धार्मिक उत्सव भी वसूली की भेंट चढ़ा दिए जाएंगे?
सरायकेला की जनता चाहती है जवाब, और नगर पंचायत प्रशासन की चुप्पी इस गंदगी से भी ज्यादा बदबूदार बनती जा रही है।

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