मरांगहाटु में स्वास्थ्य शिविर, गोंगामार्चा में सिदो-कान्हू दिवस मनाकर आदिवासी सशक्तिकरण को दी नयी दिशा
कुचाई, 02 जुलाई 2025। आदिवासी समुदायों के समग्र विकास के लिए समर्पित गैर-सरकारी संस्था विकास भारती द्वारा कुचाई प्रखंड में दो महत्वपूर्ण कार्यक्रमों का आयोजन किया गया। जहां एक ओर 2 जुलाई को कुचाई के मरांगहाटु गांव में एक व्यापक स्वास्थ्य शिविर का सफल आयोजन किया गया, वहीं दूसरी ओर 30 जून को गोंगामार्चा गांव में सिदो-कान्हू दिवस धूमधाम से मनाया गया। इन दोनों आयोजनों ने स्वास्थ्य, सांस्कृतिक चेतना और समुदायिक सशक्तिकरण को केंद्र में रखा।
मरांगहाटु में स्वास्थ्य शिविर: बारिश के मौसम में आदिवासी स्वास्थ्य पर फोकस
विकास भारती की वाड़ी परियोजना के अंतर्गत, जिसमें कुल 300 किसान एकीकृत खेती का लाभ प्राप्त कर रहे हैं, मरांगहाटु में 2 जुलाई को स्वास्थ्य शिविर आयोजित किया गया। मानसून की शुरुआत के साथ कुचाई क्षेत्र में मौसमी बीमारियों की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए यह पहल की गई।
इस शिविर ने कुचाई प्रखंड के कई गांवों — जैसे कुचाई, गोंगामर्चा, मरांगहाटु, जोवाजनजीर और रमयसल — के सैकड़ों ग्रामीणों को लाभ पहुंचाया। शिविर में मुफ्त चिकित्सा परामर्श, बुनियादी स्वास्थ्य जांच और आवश्यक दवाओं का वितरण किया गया।
इस अवसर पर डॉ. दिनेश महतो (पोंडकाटा) और डॉ. सुशील महतो (डुकरी) की देखरेख में मरीजों का उपचार किया गया। विशेष रूप से मातृ एवं शिशु स्वास्थ्य, पोषण, और वर्षा ऋतु में स्वच्छता बनाए रखने के उपायों पर ग्रामीणों को जागरूक किया गया।
परियोजना समन्वयक हिमांशु महतो, क्लस्टर समन्वयक कानूराम सोय, तथा ग्राम समन्वयक बर्गा सोय और गोविंद हेंब्रम ने शिविर के सफल आयोजन में अहम भूमिका निभाई।
गोंगामार्चा में सिदो-कान्हू दिवस: इतिहास से जुड़ने और आत्मगौरव का संदेश
30 जून 2025 को, विकास भारती द्वारा गोंगामार्चा गांव में सिदो-कान्हू दिवस मनाया गया। यह आयोजन 1855 के संथाल विद्रोह के महानायकों सिदो मुर्मू और कान्हू मुर्मू को श्रद्धांजलि देने और उनकी विरासत को नई पीढ़ी तक पहुँचाने के उद्देश्य से किया गया था।
कार्यक्रम में स्थानीय ग्रामीणों, समुदाय नेताओं, युवाओं और स्वयं सहायता समूहों की सक्रिय भागीदारी रही। वक्ताओं ने संथाल विद्रोह के ऐतिहासिक महत्व और आदिवासी आत्मसम्मान की रक्षा में सिदो-कान्हू के योगदान को रेखांकित किया।
युवा पीढ़ी को इतिहास से जोड़ने, सांस्कृतिक जागरूकता बढ़ाने और सामाजिक एकता को मजबूत करने के उद्देश्य से कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने सिदो-कान्हू के आदर्शों पर चलने की शपथ ली। यह आयोजन न केवल श्रद्धांजलि था, बल्कि एक प्रेरणा का स्रोत भी बना।
एक संस्था, दो संदेश: स्वास्थ्य और पहचान दोनों पर जोर
विकास भारती की ये दोनों पहलें इस बात की मिसाल हैं कि कैसे कोई संगठन आदिवासी समुदायों के शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक, सांस्कृतिक और ऐतिहासिक चेतना को भी सशक्त बना सकता है।
इन आयोजनों के माध्यम से विकास भारती ने यह स्पष्ट कर दिया कि उसका मिशन केवल आर्थिक विकास तक सीमित नहीं, बल्कि समाज के हर पहलू — स्वास्थ्य, संस्कृति और स्वाभिमान — को साथ लेकर चलने का है।