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झारखंड के ग्रामीण कार्य विभाग में मचा राजनीतिक और ठेकेदारी घमासान !

दबंग ठेकेदारों और अभियंताओं की साजिश, दीपिका पांडेय की कुर्सी हिलाने की हो रही कोशिश; राजेश रजक की हटने के बाद विभाग में बवाल तेज ।

रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।

झारखंड की गठबंधन सरकार के एक अहम विभाग ग्रामीण कार्य विभाग में इन दिनों ज़बरदस्त अंदरूनी खींचतान और साजिशों का दौर चल रहा है। सूत्रों के अनुसार, कोल्हान के प्रभावशाली और दबंग ठेकेदारों का एक गुट मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन पर दबाव बना रहा है कि ग्रामीण कार्य विभाग को झामुमो कोटे में स्थानांतरित किया जाए। इसके पीछे साफ मंशा बताई जा रही है कि झामुमो के ही दबंग नेता रामदास सोरेन को इस विभाग की कमान सौंपी जाए।

पांच विधायकों को एकजुट करने की लॉबी शुरू

जानकारी के अनुसार, रामदास सोरेन को ग्रामीण कार्य मंत्री बनाए जाने की कवायद कोल्हान के पांच विधायकों को एकजुट कर सीधे मुख्यमंत्री पर राजनीतिक दबाव बनाने की रणनीति के तहत की जा रही है। सूत्र बताते हैं कि यह लॉबी वर्तमान मंत्री दीपिका पांडेय को हटाने की ठोस योजना पर काम कर रही है।

अभियंताओं का गुट भी साजिश में शामिल ?

ग्रामीण कार्य विभाग में पूर्व अभियंता राजेश रजक को टेंडर प्रक्रिया से हटाए जाने के बाद से ही अभियंताओं के एक गुट में बेचैनी फैल गई है। अब वही गुट दीपिका पांडेय को निशाना बना रहा है। सूत्रों के मुताबिक, अभियंताओं का एक धड़ा लगातार टेंडर प्रक्रिया में बने रहना चाहता है, क्योंकि इससे होने वाले कमीशन वसूली और घोटाले में उनकी भूमिका संदिग्ध मानी जा रही है।

बड़ा सवाल यह है: आखिर क्यों सभी अभियंता सिर्फ टेंडर प्रक्रिया में ही रहना चाहते हैं? जवाब खोजने की जरूरत है।

जमशेदपुर डिवीजन में 200 करोड़ की निविदा पर संदेह

सूत्रों का दावा है कि जमशेदपुर डिवीजन में दो सौ करोड़ की योजनाओं की निविदा में प्राक्कलन के विपरीत कार्य, फर्जी विपत्र और गलत भुगतान की कई शिकायतें उठी हैं। जब से इस पर जांच शुरू हुई है, संबंधित ठेकेदार और अभियंता दीपिका पांडेय को हटाने की मुहिम में जुट गए हैं, ताकि विभागीय जांच की आंच से खुद को बचाया जा सके।

डेविएशन और रिवाइज इस्टीमेट के जरिए करोड़ों की ‘लूट’ पर पर्दा डालने की कोशिश

तीन वर्षों में टेंडर घोटाले को दबाने के लिए सेवानिवृत्त अभियंता जे.पी. सिंह से अनावश्यक डेविएशन और रिवाइज्ड एस्टीमेट की स्वीकृति लेकर बड़ी मात्रा में सरकारी धन का दुरुपयोग किया गया है। अब जब यह मामला मुख्यमंत्री आवास तक पहुंच चुका है, अभियंता वर्ग सिर्फ मंत्री बदलकर जांच को दबाने की फिराक में हैं।

कांग्रेस कोटे से मंत्रालय बदलना आसान नहीं

ग्रामीण कार्य विभाग अभी कांग्रेस कोटे में है और मौजूदा मंत्री दीपिका पांडेय कांग्रेस की तरफ से मंत्री पद पर हैं। सूत्र बताते हैं, झामुमो की लॉबी इस मंत्रालय को अपने कोटे में लेना चाहती है, लेकिन यह गठबंधन धर्म में संभव नहीं दिखता। राजनीतिक विश्लेषकों का मानना है कि

“मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस समय राज्य की आर्थिक स्थिति से जूझ रहे हैं, ऐसे में कोई नया विवाद नहीं चाहेंगे।”

दो साल पहले तक नहीं बदल सकते मंत्री: सूत्र

जानकारों की मानें तो गठबंधन सरकार की कार्यशैली में मंत्रियों को दो वर्षों से पहले हटाने का कोई प्रावधान नहीं है। इस लिहाज से दीपिका पांडेय को अभी तत्काल हटाना संभव नहीं, बावजूद इसके साजिशें थमने का नाम नहीं ले रही हैं।

कमिशन के खेल में बेईमानी !

सूत्रों की मानें तो ग्रामीण कार्य विभाग में हजारों करोड़ रुपये की निविदा में कमीशन वसूली में बेईमानी और गड़बड़ी का मामला गहराता जा रहा है। अब जब यह मामला मुख्यमंत्री के संज्ञान तक पहुंच गया है, अभियंता वर्ग में खलबली मची हुई है।

निष्कर्ष: जांच की आंच से बचने की साजिश या राजनीतिक संघर्ष ?

ग्रामीण कार्य विभाग इस समय राजनीतिक साजिश, विभागीय टकराव और टेंडर घोटालों का अखाड़ा बन चुका है। चाहे बात ठेकेदारों की हो, अभियंताओं की या राजनीतिक लॉबी की—सबकी नजरें एक ही जगह टिकी हैं—दीपिका पांडेय की कुर्सी और विभाग का नियंत्रण। अब देखना है कि मुख्यमंत्री हेमन्त सोरेन इस गहराते संकट को कैसे संभालते हैं—साजिश को कुचलते हैं या गठबंधन दबाव में फैसला लेते हैं।

आने वाले दिन तय करेंगे कि झारखंड में पारदर्शी विकास की बात हकीकत बनती है या फिर राजनीतिक सौदेबाजी की बलि चढ़ती है।

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