ठेका मजदूर की मौत पर आश्रित को 7.5 लाख की पहली किश्त दी गई, बाकी वादों पर खामोश है प्रबंधन
रिपोर्ट : शैलेश सिंह / संदीप गुप्ता ।
सेल की गुआ खदान में आगामी 1 जुलाई से प्रस्तावित जन आंदोलन से पहले कंपनी प्रबंधन ने दबाव में आकर मृत नाबालिग ठेका मजदूर कानूराम चाम्पिया के आश्रित परिवार को मुआवज़े की पहली किश्त के रूप में 7.5 लाख रुपये का भुगतान कर दिया है। हालांकि इसकी आधिकारिक पुष्टि अब तक नहीं हो सकी है।
यह भुगतान ऐसे समय में हुआ है जब पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा के नेतृत्व में संयुक्त मोर्चा, विस्थापित परिवारों और बेरोजगार युवाओं का विशाल जनआंदोलन खदान के जनरल ऑफिस के समक्ष एक जुलाई की शाम लगभग तीन बजे से करने हेतु तैयार है।
नौकरी और बाकी मुआवज़े पर अब भी सस्पेंस
हालांकि 30 लाख रुपये और नौकरी देने की बात कंपनी प्रबंधन, पुलिस-प्रशासन और आंदोलनकारियों के बीच पिछली बैठक में तय हुई थी, लेकिन अब तक पूरा मुआवजा नहीं मिला और न ही मृतक के परिवार को ठेका मजदूरी में नियुक्ति दी गई।
मधु कोड़ा ने तीखा आरोप लगाया था कि –
“कंपनी ने शव के सामने पुलिस-प्रशासन के साथ खड़े होकर 30 लाख का चेक सौंपा, लेकिन वह चेक बाउंस हो गया। यह सिर्फ एक आश्वासन नहीं, एक अमानवीय धोखा है।”
दूसरे हादसे के घायलों को भी नहीं मिला समुचित इलाज
मधु कोड़ा ने हौलपैक टायर फटने की घटना का भी जिक्र किया था, जिसमें एक सेलकर्मी की मौत हुई थी। उन्होंने कहा था कि
“एक तरफ मृतक को नौकरी पत्र देकर औपचारिकता निभा दी गई, दूसरी ओर तीन घायल मजदूरों को इलाज के लिए बड़े अस्पताल नहीं भेजा गया, जो प्रबंधन की संवेदनहीनता को दर्शाता है।”
मधु कोड़ा का ऐलान: अब नहीं सहेंगे शोषण
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था,
“सेल की गुआ खदान अब शोषण, विस्थापन और धोखे का अड्डा बन चुकी है। कंपनी बाहरी मजदूरों को ला रही है, जबकि स्थानीय शिक्षित बेरोजगार हाशिए पर धकेल दिए जा रहे हैं। अब आरपार की लड़ाई होगी।”
उन्होंने सभी बस्तियों से आह्वान किया था कि वे एकजुट होकर आंदोलन में शामिल हों,
“आज एक बस्ती उजड़ रही है, कल आपकी बारी है। इससे पहले कि देर हो, संगठित हो जाइए।”
पुराने समझौतों की अनदेखी: लोगों में गुस्सा
11 जुलाई 2024 को हुए मेघालय गेस्ट हाउस समझौते में कई महत्वपूर्ण वादे किए गए थे:
- 500 स्थानीय बेरोजगारों को रोजगार
- समान कार्य का समान वेतन
- 100% स्थानीय नियुक्ति
- पुनर्वास से पहले विस्थापन नहीं
मधु कोड़ा ने आरोप लगाया था कि
“एक भी बिंदु पर अमल नहीं हुआ। कंपनी सिर्फ दिखावटी कागजों से लोगों को बरगला रही है।”
प्रदूषण और बीमारी का मुद्दा भी उठा था
कोड़ा ने आरोप लगाया था कि खदान से निकलने वाला लाल और दूषित पानी आसपास के खेतों को बंजर बना रहा है, और ग्रामीणों में बीमारियां फैल रही हैं, लेकिन इलाज के लिए कोई सुविधा नहीं दी जा रही।
एक जुलाई से होगा जनसैलाब का उलगुलान
मधु कोड़ा ने ऐलान किया है कि 1 जुलाई को जनरल ऑफिस का घेराव होगा। यदि मांगें नहीं मानी गईं, तो उसी दिन से अनिश्चितकालीन आर्थिक नाकेबंदी शुरू की जाएगी।
उन्होंने कहा,
“यह आंदोलन सिर्फ कानूराम चाम्पिया के लिए नहीं, पूरे गुआ, सारंडा और झारखंड के जल-जंगल-जमीन की लड़ाई है। कंपनी को झुकाना होगा और उसका अन्याय रोकना होगा।”
संभावित प्रमुख मांगे:
- कानूराम चाम्पिया के आश्रित को पूरा 30 लाख मुआवजा और नौकरी
- घायल मजदूरों को बेहतर इलाज
- 500 स्थानीय शिक्षित बेरोजगारों को रोजगार
- समान कार्य, समान वेतन
- 100% स्थानीय नियुक्ति
- विस्थापन से पहले पुनर्वास
- बाहरी मजदूरों की भर्ती पर रोक
- प्रदूषण पर नियंत्रण और इलाज की सुविधा
निष्कर्ष: मुआवजा से आंदोलन नहीं रुकेगा
हालांकि मुआवज़े की पहली किश्त देकर कंपनी ने संभावित जनविरोध को कुछ हद तक कम करने की कोशिश की है, लेकिन संघर्ष की आग अब भड़क चुकी है। मधु कोड़ा के नेतृत्व में गुआ की जनता अब सिर्फ वादों से नहीं, ठोस अमल से संतुष्ट होगी।
1 जुलाई को गुआ का जनज्वार क्या रंग लाएगा, यह आने वाला वक्त तय करेगा—but one thing is clear: this time, the fight is for dignity, justice, and survival.