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जिले में मादक पदार्थों के विरुद्ध एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला आयोजित

जिला प्रशासन ने उठाया जन-जागरूकता की दिशा में ठोस कदम, स्वास्थ्य कर्मियों एवं एनजीओ प्रतिनिधियों ने लिया सहभागिता का संकल्प

रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।

जिले में युवाओं और समाज को मादक पदार्थों के दुष्प्रभावों से बचाने और नशा मुक्त वातावरण बनाने की दिशा में एक सशक्त पहल करते हुए आज पश्चिमी सिंहभूम जिला समाहरणालय सभागार में एक दिवसीय प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया। यह कार्यक्रम उपायुक्त की अध्यक्षता एवं सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी की उपस्थिति में संपन्न हुआ।

इस कार्यशाला में जिले के चिकित्सा पदाधिकारी, स्वास्थ्य कर्मी तथा एनजीओ प्रतिनिधियों ने सक्रिय भागीदारी निभाई। प्रशिक्षण का उद्देश्य था – समाज में बढ़ रहे नशीली दवाओं के दुरुपयोग को रोकने की दिशा में कारगर उपायों की जानकारी देना और जनमानस को जागरूक करना।

स्वागत भाषण में सिविल सर्जन ने रेखांकित किया प्रशिक्षण का महत्व

कार्यक्रम की शुरुआत में सिविल सर्जन सह मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी ने सभी प्रतिभागियों एवं विशेषज्ञों का स्वागत करते हुए कहा कि “नशा न सिर्फ व्यक्ति की मानसिक और शारीरिक क्षमता को नष्ट करता है, बल्कि पूरे परिवार और समाज को तोड़ देता है। इस कार्यशाला के माध्यम से हम ‘No To Drug’ के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना चाहते हैं।”

मादक पदार्थों की विस्तृत जानकारी से सुसज्जित हुई कार्यशाला

कार्यशाला की मुख्य वक्ता श्रीमती अर्चना टोप्पो, स्टेट लीड – फीया फाउंडेशन, रांची ने मादक पदार्थों के प्रकार, स्रोत और प्रभाव पर विस्तार से जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नशे के रूप में उपयोग किए जाने वाले पदार्थ कई श्रेणियों में आते हैं:

  • गेटवे पदार्थ: शराब, तम्बाकू, सिगरेट, गुटखा एवं भांग
  • प्राकृतिक ड्रग्स: गांजा, अफीम
  • अर्ध-कृत्रिम ड्रग्स: हेरोइन, ब्राउन शुगर, कोकेन
  • कृत्रिम ड्रग्स: साइकोट्रोपिक ड्रग्स, केटामाईन, एटीएस
  • फार्मास्युटिकल ड्रग्स: जो सामान्यतः दवा के रूप में प्रचलित होते हैं लेकिन इनका दुरुपयोग किया जा सकता है।

उन्होंने बताया कि ये सभी नशीले पदार्थ धीरे-धीरे व्यक्ति को मानसिक, भावनात्मक और सामाजिक रूप से तोड़ देते हैं।

नशीली दवाओं के संकेत, लक्षण और नुकसान पर हुआ विस्तृत विमर्श

श्रीमती मीनाक्षी त्रिपाठी, एसोसिएट – फीया फाउंडेशन रांची ने ड्रग्स के दुरुपयोग के कारणों, मानसिक एवं शारीरिक दुष्प्रभावों तथा पहचान के लक्षणों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि –

  • ड्रग्स का सेवन करने वाले लोगों में: चिड़चिड़ापन, समाज से दूरी, नींद की कमी या अधिकता, अवसाद, अचानक व्यवहार में बदलाव, चोरी की प्रवृत्ति, और आत्महत्या के विचार देखे जा सकते हैं।
  • स्वास्थ्य प्रभाव: हृदय रोग, लीवर डैमेज, ब्रेन डिसऑर्डर, यौन दुर्बलता, कैंसर, असमय मृत्यु।

प्रतिभागियों ने ली “नशा मुक्त समाज” की शपथ

कार्यक्रम के अंत में सभी प्रतिभागियों ने ड्रग्स का सेवन नहीं करने एवं समाज को नशामुक्त बनाने हेतु सामूहिक रूप से शपथ ली। यह पल कार्यक्रम का सबसे प्रेरणादायक क्षण बना।

कौन-कौन थे मौजूद

इस कार्यशाला में जिले के प्रमुख स्वास्थ्य अधिकारियों सहित कई समाजसेवी एवं संस्था प्रतिनिधि शामिल हुए:

  • अपर मुख्य चिकित्सा पदाधिकारी
  • आर.सी.एच. पदाधिकारी
  • जिला यक्ष्मा पदाधिकारी
  • उपाधीक्षक – सदर अस्पताल
  • डी.पी.एम. इकाई के अधिकारीगण
  • सामाजिक कार्यकर्ता श्री अनूप बागे
  • जिला तंबाकू नियंत्रण इकाई
  • जिला परामर्शी – सुश्री मुक्ति बिरुआ
  • तथा अन्य स्वास्थ्य कर्मी एवं समाजसेवी

प्रशासनिक अपील – समाज की भागीदारी है जरूरी

कार्यशाला के समापन पर प्रशासन की ओर से यह अपील की गई कि नशा उन्मूलन सिर्फ सरकारी प्रयास से संभव नहीं, इसके लिए समाज के हर वर्गयुवाओं, अभिभावकों, शिक्षकों, डॉक्टरों और स्वयंसेवी संस्थाओं को आगे आना होगा।

उपायुक्त ने कहा –

“हर घर, हर विद्यालय, हर अस्पताल से यदि हम ‘नशा मुक्त समाज’ की अलख जगाएं तो पश्चिमी सिंहभूम एक मॉडल जिला बन सकता है। इस दिशा में यह कार्यशाला एक मजबूत नींव है।”

आप भी बनें इस मुहिम का हिस्सा

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति को जानते हैं जो मादक पदार्थों की लत का शिकार है, तो उसे अकेला न छोड़ें। उसे परामर्श दें, मदद करें या नीचे दिए गए नंबरों पर संपर्क करें:

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