रंगदारी के आरोपों की जांच को लेकर गठित हुई 7 सदस्यीय कमिटी, 15 दिन में सौंपेगी रिपोर्ट।
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
लौहांचल और सारंडा अंचल में दबंग मजदूर नेता की छवि रखने वाले रामा शंकर पांडेय उर्फ रामा पांडेय की राजनीतिक पारी में नई पार्टी जॉइन करने के साथ ही मुश्किलें शुरू हो गई हैं। एक दिन पहले ही पश्चिमी सिंहभूम के उपायुक्त चंदन कुमार ने उन्हें छह माह के लिए जिला बदर कर दिया था और अब झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) ने भी उन्हें छह महीने के लिए पार्टी से निलंबित कर दिया है।
यह जानकारी झामुमो जिला प्रवक्ता बुधराम लागुरी द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से दी गई। उन्होंने बताया कि शुक्रवार को जिला अध्यक्ष सोनाराम देवगम की अध्यक्षता में परिसदन, चाईबासा में आयोजित झामुमो की कोर कमिटी की बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया।
झामुमो ने बनाई जांच कमिटी
पार्टी ने रामा पांडेय के ऊपर लगे रंगदारी मांगने समेत अन्य संगीन आरोपों की जांच के लिए 7 सदस्यीय जांच कमिटी का भी गठन किया है। यह कमिटी 15 दिनों के अंदर अपनी रिपोर्ट जिला अध्यक्ष को सौंपेगी। जांच कमिटी में शामिल सदस्य इस प्रकार हैं:
- राहुल आदित्य (जिला सचिव)
- दिनेश चन्द्र महतो (जिला उपाध्यक्ष)
- मो. इकबाल अहमद
- दीपक कुमार प्रधान
- चन्द्रमोहन बिरुवा (जिला संगठन सचिव)
- बृंदावन गोप
- बुधराम लागुरी (जिला प्रवक्ता)
भाजपा छोड़कर हाल में झामुमो में हुए थे शामिल
गौरतलब है कि रामा पांडेय कुछ ही हफ्ते पहले भाजपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा का साथ छोड़कर झामुमो में शामिल हुए थे। लेकिन पार्टी में शामिल होते ही जिस तरह से उन पर जिला बदर और अब पार्टी निलंबन की कार्यवाही हुई है, उससे राजनीतिक गलियारों में चर्चा तेज हो गई है कि क्या उन्होंने ‘गलत वक्त में सही कदम’ उठा लिया।
बैठक में कई वरिष्ठ नेता रहे उपस्थित
कोर कमिटी की इस महत्वपूर्ण बैठक में झामुमो के कई वरिष्ठ नेता और पदाधिकारी उपस्थित थे, जिनमें प्रमुख रूप से शामिल रहे:
- दीपक कुमार प्रधान (जिला उपाध्यक्ष)
- प्रेम मुंडरी
- मो. इकबाल अहमद
- अकबर खान
- मानाराम कूदादा (जिला संगठन सचिव)
- हरिलाल करजी (सह सचिव)
- अशोक दास
- बंधना उरांव (सह सचिव)
- मो. मुजाहिद अहमद
- कांडे तीयू (सह सचिव)
- विनय प्रधान
- संदेश सरदार (सह सचिव)
- विश्वनाथ बाड़ा (सह सचिव)
निष्कर्ष
रामा पांडेय, जिनकी पहचान एक जनप्रिय मजदूर नेता के रूप में रही है, अब खुद को कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर घिरा हुआ पा रहे हैं। जिला प्रशासन की कार्रवाई के बाद अब उनकी खुद की पार्टी ने उन्हें निलंबन और जांच की कठघरे में खड़ा कर दिया है। आने वाले दिनों में झामुमो की जांच कमिटी की रिपोर्ट यह तय करेगी कि पार्टी में उनका भविष्य क्या होगा। वह निलम्बन मुक्त होंगे या छः साल के लिये झामुमो से निष्कासित होंगे !