मुख्य अभियंता श्रवण कुमार और राजेश रजक की तनातनी के बीच विभागीय सिस्टम पंगु, अरबों की निविदाएं अधर में, कमीशनराज का चिठ्ठा खुलने को तैयार ।
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
झारखंड के ग्रामीण कार्य विभाग का अभियंता प्रमुख कार्यालय इन दिनों सियासी दखल, टेंडर मैनेज और कमीशन वसूली के खेल का अखाड़ा बन चुका है। अभियंता राजेश रजक को अचानक निविदा निष्पादन प्रक्रिया से अलग किए जाने के बाद विभाग में जो भूचाल आया है, वह सिर्फ एक अफसर को हटाना नहीं, बल्कि सिस्टम की भीतर ही भीतर चल रही सड़ांध को उजागर करता है।
मुख्य अभियंता श्रवण कुमार और राजेश रजक की ‘छत्तीस का रिश्ता’ अब खुलकर सामने आ चुका है। निविदा निष्पादन में पारदर्शिता की अनदेखी, चहेते ठेकेदारों को लाभ पहुंचाना और तकनीकी फाइलों को मनमर्जी से रोके रखना – इन तमाम वजहों को आधार बनाकर श्रवण कुमार ने मंत्री की सहमति से रजक को निविदा प्रक्रिया से बाहर का रास्ता दिखा दिया।
रजक हटे, निविदाएं चलीं आगे: क्या विभाग सिर्फ एक व्यक्ति पर निर्भर था?
राजेश रजक को हटाए जाने के बाद विभाग में महीनों से अटकी पड़ी सैकड़ों निविदाओं की तकनीकी जांच प्रक्रिया अचानक शुरू कर दी गई। जिन टेंडरों को रजक महीनों तक दबाए बैठे थे, उन्हें एक-एक कर खोला जा रहा है। यह घटनाक्रम यह साबित करता है कि अभियंता प्रमुख कार्यालय राजेश रजक के इशारों पर ही चलता रहा है।

लेकिन यह भी आश्चर्यजनक है कि रजक के हटते ही पूरा सिस्टम पंगु हो गया है। मौखिक निर्देश पर हटाए जाने के बाद विभाग ने अब तक कोई आधिकारिक पत्र जारी नहीं किया है। यही वजह है कि पिछले दस दिनों में अभियंता प्रमुख कार्यालय में एक भी टेंडर निष्पादित नहीं हो सका है।
रजक की विदाई या टेंडर सिंडिकेट पर चोट?
सूत्र बताते हैं कि राजेश रजक को हटाना कोई सामान्य प्रशासनिक निर्णय नहीं था। यह ‘टेंडर मैनेज’ और ‘कमीशन वसूली’ के उस सिंडिकेट पर सीधा हमला है, जो वर्षों से विभाग को जकड़े हुए है। हाल के दिनों में पास संवेदकों को फेल और फेल को पास करने की ढिठाई से टेंडर प्रक्रिया विवादों में रही है। इससे परेशान होकर कई संवेदकों ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया है, जिससे कोर्ट में मामलों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है।
क्या श्रवण कुमार अगला निशाना हैं? पीछे कौन है?
विभागीय सूत्रों के अनुसार अब पूरी कोशिश मुख्य अभियंता श्रवण कुमार को हटाने की जा रही है। इस अभियान में राजेश रजक के साथ विभाग में कार्यरत एक वरिष्ठ अभियंता श्री टोप्पो सक्रिय हो गए हैं। वहीं, यह भी कयास लगाए जा रहे हैं कि एक सेवा निवृत्त अभियंता प्रमुख इस पूरी साजिश के सूत्रधार हैं, जो खुद JSRRDA के अभियन्ता प्रमुख बनने की फिराक में हैं।
यह सेवा निवृत्त अभियंता, विभाग में अपनी मजबूत पकड़ और संपर्कों के बल पर मौजूदा सिस्टम को चुनौती दे रहे हैं। यदि इस दिशा में कदम बढ़े, तो मुख्यमंत्री सचिवालय तक पैरवी के तार पहुंचने की संभावना से इंकार नहीं किया जा सकता।
विभागीय मंत्री की चुप्पी सवालों के घेरे में
सबसे बड़ा सवाल यह है कि जब पूरा तंत्र भ्रष्टाचार की बुनियाद पर हिल रहा है, जब एक अभियंता के हटते ही विभाग ठहर जाता है, जब निविदाएं अधर में लटकती हैं, तब विभागीय मंत्री की चुप्पी क्या इंगित करती है? क्यों नहीं वैकल्पिक व्यवस्था बनाई गई? क्यों नहीं स्पष्ट आदेश जारी किए गए?
सूत्रों के अनुसार मंत्री की चुप्पी से नाराज विपक्ष ने इस पूरे मामले को आने वाले विधानसभा सत्र में जोरशोर से उठाने की रणनीति बना ली है। टेंडर मैनेज, माफिया गठजोड़ और अधिकारियों के संरक्षण की आंच अब सत्ताधारी दल तक पहुंच रही है।
फर्जीवाड़े और टालमटोल से सिस्टम कराह रहा है
ग्रामीण कार्य विभाग में निविदा निष्पादन की स्थिति अत्यंत दयनीय है। पिछले एक वर्ष से टेक्निकल ओपनिंग के बाद भी वित्तीय बिड नहीं खोले गए हैं। कार्य आदेश जारी होने में महीनों की देरी हो रही है। अरबों की निविदाएं लटक रही हैं, सैकड़ों योजनाएं अधूरी हैं, और ग्रामीण जनता को बुनियादी ढांचों के अभाव में परेशानी झेलनी पड़ रही है।

क्या राजेश रजक की वापसी की तैयारी? टोप्पो की मोर्चाबंदी तेज
राजेश रजक के समर्थन में अभियंता श्री टोप्पो ने मोर्चा संभाल लिया है। वे खुले तौर पर उनकी वापसी के लिए प्रयासरत हैं। विभागीय कार्यालय में चर्चा है कि रजक और टोप्पो ने मिलकर श्रवण कुमार को हटाने की रणनीति पर काम शुरू कर दिया है।
टोप्पो की भूमिका पर भी सवाल उठ रहे हैं – क्या वे भी उसी टेंडर सिंडिकेट के हिस्से हैं? क्या यह पूरा गठबंधन एक खास माफिया ठेकेदार लॉबी के इशारे पर संचालित हो रहा है? यह जांच का विषय है।
निष्कर्ष: ग्रामीण कार्य विभाग में सिस्टम फेल, जवाबदेही गायब
इस पूरे प्रकरण ने यह साबित कर दिया है कि ग्रामीण कार्य विभाग का तंत्र व्यक्तिनिष्ठ और भ्रष्ट गठजोड़ों पर आधारित हो गया है। एक अधिकारी के हटते ही विभाग का निष्पादन रुक जाए, यह किसी भी प्रशासनिक तंत्र के लिए शर्मनाक स्थिति है।
राजेश रजक को हटाने और श्रवण कुमार पर खतरा, दोनों ही इस बात का संकेत हैं कि विभाग में गहरी साजिशें चल रही हैं। अब देखना यह है कि क्या सरकार इस भ्रष्टाचार पर कठोर कदम उठाती है या माफिया लॉबी के आगे झुकती है। जो भी हो, विधानसभा सत्र में इस मुद्दे पर बड़ा हंगामा तय माना जा रहा है।