न्यायालय और प्रशासनिक आदेशों का करूंगा सम्मान, लेकिन मजदूरों के अधिकार की लड़ाई जारी रहेगी: सिंहभूम हलचल से विशेष बातचीत
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के केंद्रीय अध्यक्ष और झामुमो नेता रामा शंकर पांडेय उर्फ रामा पांडेय ने अपने ऊपर लगाए गए जिला बदर के आदेश को लेकर सिंहभूम हलचल न्यूज से विशेष बातचीत में अपनी प्रतिक्रिया दी। उन्होंने कहा कि उन्हें इस आदेश की जानकारी मीडिया रिपोर्टों के माध्यम से हुई है, जबकि अभी तक पुलिस या जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक पत्राचार उन्हें प्राप्त नहीं हुआ है।
प्रशासनिक आदेश का करूंगा पालन, लेकिन कानूनी लड़ाई भी लड़ूंगा
रामा पांडेय ने स्पष्ट शब्दों में कहा,
“अगर जिला बदर का कोई निर्देश पत्र हमें प्राप्त होता है तो हम प्रशासनिक आदेशों का पालन करेंगे, क्योंकि हम हमेशा से न्यायालय और सरकार के नियमों का सम्मान करते आए हैं। साथ ही, हम इस आदेश के खिलाफ उच्च न्यायालय में अपील भी करेंगे ताकि न्याय मिल सके।”
विचाराधीन हैं केवल दो मामले, बाकी सभी समाप्त
अपने खिलाफ दर्ज मामलों पर उन्होंने कहा कि वर्तमान में उनके ऊपर जितने भी मामले थे उनमें से अधिकांश समाप्त हो चुके हैं।
“अब सिर्फ दो मामले विचाराधीन हैं—एक वर्ष 2015 का 17 सीएलए एक्ट से संबंधित और दूसरा 2018 का चाईबासा जेल ब्रेक मामला। इन दोनों में मुझे रणनीति के तहत फंसाया गया है। मैं निर्दोष हूं और इसका सबूत न्यायालय में पेश किया जाएगा।”
मजदूरों के हक की लड़ाई से कोई नहीं रोक सकता
रामा पांडेय ने प्रशासन और प्रबंधन पर तीखा हमला बोलते हुए कहा:
“सेल और अन्य खदान प्रबंधनें मजदूरों का निरंतर शोषण कर रही हैं। ऐसे में अगर हम चुप रहें तो यह मृत व्यक्ति की तरह शांत रहने जैसा होगा, जो हमारे सिद्धांतों के खिलाफ है। मजदूरों की मौत पर न्याय की मांग करना और संघर्ष करना कोई अपराध नहीं है। यह संघर्ष हमेशा जारी रहेगा।”
भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना ही मेरा धर्म है
उन्होंने कहा कि जिले में चल रही विकास योजनाओं में भ्रष्टाचार चरम पर है।
“यह बात किसी से छिपी नहीं है। मैं लगातार इस भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाता रहूंगा। चाहे इसके लिए मुझे कोई भी कुर्बानी क्यों न देनी पड़े।”
107 की धारा एक औजार की तरह प्रयोग होती है
जब उनसे यह पूछा गया कि उनके खिलाफ 10 सनहा दर्ज हैं, तो उन्होंने कहा कि उन्हें इनकी स्पष्ट जानकारी नहीं है, लेकिन
“प्रशासन हम पर हमेशा 107 जैसी धारा लगाए रहता है, ताकि हमें दबाया जा सके।”
न्यायपालिका पर है पूरा भरोसा
अंत में उन्होंने कहा कि उन्हें भारत की न्यायिक प्रणाली पर पूर्ण विश्वास है।
“मुझे यकीन है कि अदालत से मुझे न्याय मिलेगा और मैं फिर से उसी ताकत के साथ मजदूरों के हक और भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाऊंगा।”