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होमलेस फुटबॉल वर्ल्ड कप के लिए चुने गए झारखंड के दो सितारे: ओस्लो में दिखेगा कमललता और पारसी का जलवा

युवा फुटबौलर पारसी हेम्ब्रम

पश्चिमी सिंहभूम के तांतनगर और डेबरासाई गांव के खिलाड़ी करेंगे भारत का प्रतिनिधित्व, मेघाहातुबुरु में जश्न का माहौल


रिपोर्ट : शैलेश सिंह
नॉर्वे के ओस्लो शहर में 23 से 30 अगस्त तक आयोजित होने जा रहे होमलेस फुटबॉल वर्ल्ड कप 2025 में भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए पश्चिमी सिंहभूम जिले के दो होनहार खिलाड़ियों का चयन राष्ट्रीय टीम में हुआ है। इनमें एक महिला खिलाड़ी कमललता बिरुली और एक पुरुष खिलाड़ी पारसी हेम्ब्रम शामिल हैं।

फुटबौल खिलाड़ी पारसी हेम्ब्रम

⚽ झारखंड के गांवों से अंतरराष्ट्रीय मैदान तक

  • कमललता बिरुली, जो तांतनगर गांव की निवासी हैं, भारत की महिला टीम में शामिल की गई हैं।
  • वहीं पारसी हेम्ब्रम, जो जगन्नाथपुर प्रखंड के डेबरासाई गांव से हैं और जिनका बचपन मेघाहातुबुरु में बीता है, पुरुष टीम का हिस्सा बनेंगे।

दोनों खिलाड़ियों का चयन झारखंड के लिए गौरव का विषय है और इसने राज्य के ग्रामीण युवाओं के लिए एक नई प्रेरणा गढ़ दी है।

पारसी हेम्ब्रम

🌟 मेघाहातुबुरु में पारसी के चयन से उत्सव का माहौल

पारसी हेम्ब्रम के चयन पर सेल (SAIL) मेघाहातुबुरु खदान के सिविल विभाग के अधिकारी और कर्मचारी बेहद प्रसन्न हैं। पारसी के पिता दिनेश हेम्ब्रम यहां ठेका श्रमिक के रूप में प्लंबर का कार्य करते हैं। स्थानीय लोगों ने पारसी को संघर्ष और लगन का प्रतीक मानते हुए उसे ढेर सारी शुभकामनाएं दी हैं।

किरीबुरु और मेघाहातुबुरु के खेलप्रेमी, स्थानीय कोच, और सामाजिक संगठनों ने भी इस सफलता को ऐतिहासिक बताते हुए जश्न मनाया।

युवा फुटबौलर पारसी हेम्ब्रम

🏆 अंतरराष्ट्रीय मंच पर पहचान बनाने का अवसर

होमलेस फुटबॉल वर्ल्ड कप एक ऐसा अंतरराष्ट्रीय आयोजन है, जिसमें दुनिया भर के ऐसे खिलाड़ी हिस्सा लेते हैं, जो कभी सामाजिक या आर्थिक रूप से हाशिये पर थे। इस टूर्नामेंट का उद्देश्य न केवल फुटबॉल को बढ़ावा देना है, बल्कि खिलाड़ियों को सम्मान, आत्मबल और वैश्विक मंच देने का भी है।


🙌 संघर्ष से सफलता तक की कहानी

पारसी हेम्ब्रम और कमललता बिरुली की यात्रा सामाजिक चुनौती और सीमित संसाधनों के बीच लगन, मेहनत और खेल के प्रति समर्पण का प्रतीक है। ग्रामीण परिवेश से निकलकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक पहुंचना केवल व्यक्तिगत जीत नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की उपलब्धि है।


कमललता और पारसी को उनके इस ऐतिहासिक सफर के लिए ढेरों शुभकामनाएं। ओस्लो की धरती पर तिरंगा लहराने की उम्मीद अब झारखंड के इन दो होनहार खिलाड़ियों पर टिकी है।

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