राई भूमिज बोले – आदिवासी आरक्षण पर हो रहा धोखा, झामुमो बताए धर्मांतरित नेताओं की असली पहचान
रिपोर्ट : शैलेश सिंह ।
झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) की हालिया अल्पसंख्यक मोर्चा जिला समिति गठन को लेकर भारतीय जनता पार्टी के जगन्नाथपुर प्रखंड अध्यक्ष राई भूमिज ने तीखा प्रहार किया है। उन्होंने आरोप लगाया कि झामुमो पार्टी धर्मांतरण के मुद्दे पर दोहरी नीति अपना रही है और आदिवासी समाज के आरक्षण व पहचान के साथ खुला छल कर रही है।
भूमिज ने आरोप लगाया कि समिति में शामिल सचिव रघुनाथ तियु और कोषाध्यक्ष निर्दोष बोदरा पहले आदिवासी (हो समुदाय) और सरना धर्म के अनुयायी थे, लेकिन अब वे ईसाई धर्म अपना चुके हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि जब वे धर्मांतरित हो चुके हैं तो फिर उन्हें अनुसूचित जनजाति का लाभ कैसे मिल रहा है?
भूमिज ने तीखा तंज करते हुए कहा, “अगर झामुमो उन्हें अल्पसंख्यक मान रही है, तो क्या विधायक निरल पुरती को भी अल्पसंख्यक घोषित किया जाएगा? वे भी अब ईसाई हैं। फिर वह अनुसूचित जनजातियों के लिए आरक्षित सीट से क्यों चुनाव लड़ रहे हैं?”
उन्होंने मांग की कि विधायक निरल पुरती जैसे धर्मांतरित जनप्रतिनिधि अनुसूचित जनजाति कोटे से चुनाव लड़कर दोहरा लाभ उठा रहे हैं, जिससे आदिवासी समाज के वास्तविक हकदारों का हक मारा जा रहा है। उन्होंने नैतिकता के आधार पर विधायक से इस्तीफे की मांग की।
राई भूमिज ने कहा कि यदि झामुमो धर्मांतरण को अल्पसंख्यक मानता है तो सभी धर्मांतरित नेताओं को उस श्रेणी में रखते हुए आरक्षण से वंचित किया जाना चाहिए। उन्होंने झामुमो से पार्टी में मौजूद सभी धर्मांतरित जनप्रतिनिधियों की समीक्षा की भी मांग की।
यह विवाद उस समय उभरा जब झामुमो जिला समिति के पत्र (संख्या 22-2025/JMM/West Singhbhum, दिनांक 07/06/2025) के आधार पर अल्पसंख्यक मोर्चा का विस्तार किया गया, जिसमें उपरोक्त दो धर्मांतरित व्यक्तियों को पद दिया गया है।
भूमिज के बयान के बाद यह मुद्दा क्षेत्रीय राजनीति में गर्मा गया है, और अब यह देखना होगा कि झामुमो इस गंभीर आरोपों पर क्या रुख अपनाती है।