किरीबुरु-मेघाहातुबुरु में घना कोहरा, भूस्खलन और पेड़ गिरने से जनजीवन अस्त-व्यस्त
रिपोर्ट: संदीप गुप्ता / शैलेश सिंह
पश्चिमी सिंहभूम सहित पूरे झारखंड में पिछले 24 घंटे से जारी भीषण बारिश ने आम जनजीवन को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। झारखंड के घने जंगलों और पहाड़ी इलाकों में फैला सारंडा क्षेत्र इस प्राकृतिक आपदा का सबसे अधिक शिकार बना है। लगातार बारिश के चलते पहाड़ियों से भारी मात्रा में पानी नीचे की ओर बह निकला, जिससे कारो नदी का जलस्तर अचानक बढ़ गया और वह उफान पर आ गई।
सबसे गंभीर स्थिति बोकना पंचमुखी मंदिर के पास स्थित लोहा पुल की रही, जहां नदी का पानी पुल के ऊपर से बहने लगा। इस कारण घंटों तक इस मार्ग से आवागमन पूरी तरह बाधित रहा, जिससे स्कूली बच्चों, मजदूरों और आम यात्रियों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा।
कारो नदी की विकरालता से लोहा पुल डूबा
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, सोमवार देर रात से हो रही मूसलधार बारिश से सारंडा की पहाड़ियों से पानी तेज बहाव के साथ कारो नदी में समाहित होने लगा, जिससे जलस्तर अत्यधिक बढ़ गया। इससे लोहा पुल पूरी तरह डूब गया और ऊपर से पानी बहने लगा।
यात्री घंटों पुल के दोनों छोर पर फंसे रहे। कई लोगों ने जान जोखिम में डालकर पार करने की कोशिश की, जिन्हें बाद में पुलिस द्वारा रोका गया।
किरीबुरु में बिजली आपूर्ति ठप, घना कोहरा छाया
इस भीषण मौसम का असर किरीबुरु में बिजली आपूर्ति पर भी पड़ा। लगातार हो रही बारिश और आंधी की वजह से घंटों तक बिजली गुल रही, जिससे आम जनजीवन पूरी तरह ठहर गया। दुकानों, घरों और स्कूलों में अंधेरा छा गया, और मोबाइल नेटवर्क भी कई जगह बाधित हुआ।
इसी बीच, किरीबुरु और मेघाहातुबुरु क्षेत्रों में घना कोहरा छाया रहा, जिससे दृश्यता बहुत कम हो गई और वाहनों की रफ्तार थम गई। सुबह के समय कुछ स्कूलों ने छुट्टी की घोषणा कर दी।
मुख्य सड़क किनारे पेड़ गिरने से यातायात प्रभावित
मूसलधार बारिश के कारण कई स्थानों पर मुख्य सड़क किनारे के पेड़ गिर गये, जिससे मार्ग अवरुद्ध हो गया। हालांकि प्रशासन द्वारा त्वरित कार्रवाई करते हुए पेड़ों को काटकर हटाया गया, लेकिन तब तक कई घंटे यातायात बाधित रहा।
एक स्थानीय वाहन चालक ने बताया, “हम सुबह 7 बजे निकले थे, लेकिन रास्ते में गिरे पेड़ों के कारण 3 घंटे तक जाम में फंसे रहे। सड़कों की हालत भी खराब हो गई है।”
हल्का भूस्खलन, प्रशासन सतर्क
कुछ इलाकों में हल्के स्तर का भूस्खलन भी देखा गया, विशेषकर उन क्षेत्रों में जहां पहाड़ी ढलान के पास सड़कों का निर्माण किया गया है। फिलहाल कोई बड़ा नुकसान नहीं हुआ है, लेकिन इससे भविष्य में संभावित खतरे का संकेत मिला है।
स्थानीय प्रशासन ने संवेदनशील इलाकों में अलर्ट जारी कर दिया है और वन एवं आपदा प्रबंधन विभाग को सतर्क रहने को कहा गया है।
ग्रामीणों की मांग: पुल ऊंचा किया जाए, पूर्व सूचना तंत्र विकसित हो
ग्रामीणों और सामाजिक संगठनों ने इस आपदा के बाद स्थायी समाधान की मांग फिर दोहराई है। लोहा पुल हर साल बारिश में डूबता है, जिससे जीवन अवरुद्ध हो जाता है। उनकी मांग है कि पुल की ऊंचाई बढ़ाकर निर्माण हो, साथ ही जलस्तर पूर्व चेतावनी तंत्र (Early Warning System) की स्थापना की जाए।