केंद्रीय दूरसंचार मंत्री को सौंपा जाएगा मामला, खरसावां और आसपास के क्षेत्रों में नेटवर्क बाधित होने पर जताई कड़ी आपत्ति
सरायकेला।
भारतीय जनता पार्टी सरायकेला-खरसावां के जिला अध्यक्ष उदय सिंहदेव ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करते हुए बीएसएनएल (भारत संचार निगम लिमिटेड) के पदाधिकारियों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उन्होंने कहा कि खरसावां समेत अन्य क्षेत्रों में बीएसएनएल की नेटवर्क सेवा लगातार बाधित हो रही है, और इसके पीछे विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत और मनमानी जिम्मेदार है।
भाजपा जिला अध्यक्ष का आरोप है कि बीएसएनएल के कुछ अधिकारी निजी टेलीकॉम कंपनियों से पैसे लेकर जानबूझकर नेटवर्क बंद करवा रहे हैं, जिससे बीएसएनएल के उपभोक्ता मजबूर होकर अपना मोबाइल नंबर पोर्ट करवा कर एयरटेल या जिओ जैसी कंपनियों में चले जाएं। उन्होंने इसे भारत सरकार की छवि को धूमिल करने वाली साजिश बताया।
उन्होंने यह भी कहा कि वे कई बार जमशेदपुर टेलीकॉम के महाप्रबंधक को इस समस्या से अवगत कराने के लिए फोन कर चुके हैं, लेकिन हर बार फोन उठाने से परहेज़ किया गया। इससे स्पष्ट होता है कि या तो अधिकारी असंवेदनशील हैं या फिर जानबूझकर इस समस्या की अनदेखी कर रहे हैं।
भाजपा नेता ने चेतावनी देते हुए कहा कि यदि बीएसएनएल के अधिकारी जल्द से जल्द खरसावां एवं अन्य प्रभावित क्षेत्रों में नेटवर्क की समस्या का समाधान नहीं करते हैं, तो भारतीय जनता पार्टी बाध्य होकर सरायकेला स्थित बीएसएनएल कार्यालय में तालाबंदी करेगी। उन्होंने साफ शब्दों में कहा,
“भारत सरकार की प्रतिष्ठा हमारे लिए सर्वोपरि है। अगर बीएसएनएल जैसे सरकारी उपक्रम के अधिकारी ही सरकार को बदनाम करने पर तुले हैं, तो हमें भी बाध्य होकर जवाब देना होगा। हम बीएसएनएल ऑफिस को ताला लगाकर बंद करने से भी पीछे नहीं हटेंगे।”
उन्होंने कहा कि इस पूरे मामले से जल्द ही केंद्रीय दूरसंचार मंत्री को अवगत कराया जाएगा, ताकि शीर्ष स्तर पर इसकी जांच हो सके और दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई की जा सके।
प्रेस विज्ञप्ति के माध्यम से भाजपा नेता ने बीएसएनएल के पदाधिकारियों को अंतिम चेतावनी दी है कि वे अपनी कार्यशैली में सुधार लाएं और नेटवर्क सेवा को तत्काल प्रभाव से दुरुस्त करें, अन्यथा सख्त आंदोलन किया जाएगा।
यह मामला सरायकेला-खरसावां जिले में सरकारी सेवाओं की बदहाल स्थिति और आमजन की रोजमर्रा की समस्याओं को लेकर जनता में बढ़ती नाराजगी को दर्शाता है। आने वाले दिनों में यदि बीएसएनएल प्रशासन ने इसे गंभीरता से नहीं लिया, तो यह मामला राजनीतिक और जन आंदोलन का रूप ले सकता है।