सेल प्रबंधन की नोटिस से मचा हड़कंप, ढीपा साईं में सैकड़ों ग्रामीणों की आपात बैठक, झारखंड मजदूर यूनियन ने उठाई पुनः सर्वे की मांग
गुवा संवाददाता। सेल गुवा प्रबंधन द्वारा जारी अतिक्रमण हटाने की अंतिम चेतावनी के बाद गुवा क्षेत्र के ग्रामीणों में भारी असंतोष पनप गया है। शनिवार को गुवा बाजार स्थित ढीपा साईं में नानक नगर, ढीपा साईं, स्टेशन कॉलोनी, पुट साइडिंग, डीबी क्षेत्र, डीबीसी सब स्टेशन, जाटाहाटिंग और पंचायत भवन क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने एक आपातकालीन बैठक कर विस्थापन प्रक्रिया पर नाराजगी जाहिर की।
ग्रामीणों का कहना है कि वे सेल के नए विकास प्रोजेक्ट का स्वागत करते हैं, लेकिन पहले छूटे हुए विस्थापितों का नाम शामिल किया जाए, पुनः सर्वे हो और उन्हें वैध तरीके से वैकल्पिक आवास उपलब्ध कराकर ही विस्थापन की प्रक्रिया शुरू की जाए।
सेल की नोटिस से बढ़ी चिंता
सेल प्रबंधन द्वारा शनिवार को जारी नोटिस में स्पष्ट किया गया कि चिन्हित अतिक्रमणकारी एक सप्ताह के भीतर घर खाली कर दें, अन्यथा उनके खिलाफ कानूनी कार्रवाई की जाएगी। साथ ही यह भी कहा गया कि वैध विस्थापित सेल ऑफिस से घर की चाबी प्राप्त कर सकते हैं। इस नोटिस के बाद ग्रामीणों में आक्रोश फैल गया और उन्होंने इसे एकतरफा कार्रवाई बताया।
ढीपा साईं में जुटी आपात बैठक, यूनियन ने खोला मोर्चा
आपात बैठक की अध्यक्षता झारखंड मजदूर यूनियन के महामंत्री हेमराज सोनार ने की। बैठक में झामुमो के वरिष्ठ कार्यकर्ता सुभाष दास, बेरोजगार संघ के अध्यक्ष उदय सिंह, पूर्व मुखिया कपिलेश्वर दोंगों और सैकड़ों विस्थापितों ने भाग लिया।
बैठक में निर्णय लिया गया कि—
- विस्थापन प्रक्रिया से पूर्व पुनः सर्वे किया जाए
- वास्तविक और छूटे हुए विस्थापितों को सूची में शामिल किया जाए
- पुनर्वास की समुचित योजना तैयार कर वैकल्पिक स्थान पर बसाया जाए
- सेल द्वारा बसाए जा रहे विस्थापितों की भूमि को लेकर सेल की ओर से लिखित गारंटी ली जाए
“हम विकास विरोधी नहीं, लेकिन अन्याय बर्दाश्त नहीं”
बैठक में मौजूद ग्रामीणों ने साफ कहा कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, परंतु उनके अधिकारों की अनदेखी कर जबरन कोई योजना नहीं थोपी जा सकती। “विस्थापन अगर अपरिहार्य है, तो पहले पुनर्वास सुनिश्चित किया जाए,” यह बात ग्रामीणों ने सामूहिक रूप से कही।
सोमवार को 10 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल करेगा वार्ता
झारखंड मजदूर यूनियन के महामंत्री हेमराज सोनार ने घोषणा की कि सोमवार को 10 लोगों की प्रतिनिधि कमेटी बनाई जाएगी, जो यूनियन के नेतृत्व में सेल प्रबंधन से वार्ता करेगी। उन्होंने चेतावनी दी कि— “अगर छूटे हुए विस्थापितों का पुनः सर्वे कर सूची में नाम शामिल नहीं किया गया, तो कोई भी घर खाली नहीं किया जाएगा।”
यह केवल जमीन का नहीं, मानवाधिकार और न्याय का सवाल: ग्रामीण
ग्रामीणों ने जोर देकर कहा कि यह केवल भूमि के अतिक्रमण का मामला नहीं है, बल्कि उनके जीवन, अधिकार और सामाजिक न्याय से जुड़ा विषय है। “विकास की आड़ में जबरन उजाड़ना हमें मंजूर नहीं। हम पुनर्वास के साथ संतुलित और संवेदनशील विकास चाहते हैं,”—यह बात कई वक्ताओं ने दोहराई।