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**भ्रष्टाचार की सीढ़ियां चढ़ते ‘राजेश रजक’ ग्रामीण कार्य विभाग में टेंडर घोटाले का ‘मुख्य आर्किटेक्ट’?** 200 करोड़ की योजना के घोटाले में अभियन्ता, दलाल सब शामिल !

विभागीय भ्रष्टाचार का सिंडिकेट उजागर, टेंडर फिक्सिंग, फर्जी कंपनियों को आवंटन और आय से अधिक संपत्ति की लंबी श्रृंखला

रिपोर्ट : शैलेश सिंह

झारखंड का ग्रामीण कार्य विभाग अब विकास नहीं, बल्कि घोटालों के लिए पहचाना जाने लगा है। इस पूरे गोरखधंधे का मास्टरमाइंड राजेश रजक को माना जा रहा है — जिनकी पकड़ विभागीय सचिव से लेकर अभियंता प्रमुख कार्यालय तक मजबूत बताई जा रही है। विभागीय ठेकेदार व्यवस्था में पारदर्शिता तो जैसे शब्दकोश से गायब हो चुका है।

अभियंता प्रमुख से भी ऊपर राजेश रजक की पकड़

पूर्व मुख्य अभियंता वीरेन्द्र राम, जो भ्रष्टाचार के पर्याय माने जाते रहे हैं, अब उनके आगे भी राजेश रजक का भ्रष्टाचार साम्राज्य कहीं बड़ा और संगठित नजर आ रहा है। वर्तमान में कार्यपालक अभियंता के पद पर रहते हुए भी उनकी पहुंच विभाग के शीर्ष निर्णयों तक है, जिसे लेकर सवालों की झड़ी लग गई है।

टेंडर मैनेजमेंट का सिंडिकेट : “राजेश रजक एंड टीम”

सूत्र बताते हैं कि रजक ने विभागीय टेंडर प्रक्रिया को व्यक्तिगत वसूली का माध्यम बना दिया है। उनका सबसे करीबी सहयोगी श्री टोप्पो, अभियंता प्रमुख कार्यालय में तैनात है, जो टेंडर तकनीकी स्वीकृति, पासिंग और बिड खुलवाने तक की पूरी प्रक्रिया को नियंत्रित करता है। आरोप है कि तकनीकी स्वीकृति मिलने के बाद जानबूझकर बिड खोलने में देरी कर, दलालों के जरिए मोटा कमीशन तय किया जाता है।

24 टेंडरों में धांधली की गूंज, 200 करोड़ से अधिक का खेल!

सूचना के अधिकार (RTI) के माध्यम से जब कुछ नागरिकों ने टेंडर संबंधी जानकारी मांगी, तो या तो जानकारी नहीं दी गई या अधूरी/भ्रामक जानकारी उपलब्ध कराई गई। बताया जा रहा है कि 24 बड़े टेंडरों में अनियमितता सामने आई है, जिनकी अनुमानित लागत ₹200 करोड़ से अधिक है। इनमें कई कंपनियां फर्जी या राजेश रजक से व्यक्तिगत रूप से जुड़ी हुई मानी जा रही हैं।

₹62 करोड़ का टेंडर एक ही कंपनी को! क्या है राजेश रजक का नाता?

वर्ष 2024-25 में एक खास कंस्ट्रक्शन कंपनी को अकेले ₹62 करोड़ का कार्य आवंटन किया गया। इसके अलावा दूसरी कंपनी को ₹115 करोड़ और तीसरी को ₹97 करोड़ की योजनाएं मिलीं। ये कंपनियां या तो राजेश रजक के रिश्तेदारों के नाम पर पंजीकृत हैं या सीधे तौर पर उनकी मिलीभगत से बनाई गईं।

जमशेदपुर, रांची, रामगढ़ में संपत्ति की भरमार — DA जांच का केस पक्का!

सूत्रों का दावा है कि रजक ने हाल के वर्षों में जमशेदपुर, रांची और रामगढ़ में बहुमूल्य फ्लैट, दुकानें और जमीन खरीदी है, जिनकी वर्तमान आय से तुलना करें तो यह Disproportionate Assets (DA) का मामला स्पष्ट बनता है। इसकी CBI या ED जांच की मांग उठने लगी है।

विवादित टेंडर, रिटायर अभियंता प्रमुख, और रजक की मनमानी

जब अभियंता प्रमुख का रिटायरमेंट हुआ, तो रजक ने टेंडर कमेटी में बैठे लोगों को अपने पक्ष में कर लिया। इसके बाद एक के बाद एक विवादित टेंडर बिना तकनीकी समीक्षा के मंजूर होते चले गए। कहा जा रहा है कि विभागीय सचिव से रजक की नजदीकियां ही उसकी ढाल बनी रही।

इन अधिकारियों पर भी हैं गंभीर सवाल

राजेश रजक के इस भ्रष्टाचार नेटवर्क में कई और अधिकारियों की संलिप्तता की आशंका है। इनमें शामिल हैं:

  • अधीक्षण अभियंता असीम महतो
  • अभियंता प्रमुख विवेकानंद सिंह
  • कार्यपालक अभियंता (धालभूम) अमित रंजन सिंह
  • अभियंता प्रमुख कार्यालय के श्री टोप्पो

इन सभी पर या तो फाइल पास कराने में सहयोग करने, या सीधे हिस्सेदारी लेने का आरोप है।

मंत्री दीपिका पांडे पर बढ़ा दबाव, चुप्पी संदेहजनक!

ग्रामीण कार्य विभाग की मंत्री दीपिका पांडे अब कठघरे में हैं। रजक की कार्यशैली और टेंडर फिक्सिंग की जानकारी होने के बावजूद मंत्री की चुप्पी को राजनीतिक संरक्षण माना जा रहा है। यदि जांच शुरू होती है, तो मंत्री की भूमिका पर भी सवाल उठेंगे। जानकार बताते हैं कि केन्द्रीय जाँच एजेंसी की रडार पर हैं मंत्री दीपिका पांडे।

भाजपा प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से करेगा शिकायत

इस पूरे मामले की CBI जांच की मांग को लेकर भाजपा का प्रतिनिधिमंडल राज्यपाल से मिलने की तैयारी में है। उनका आरोप है कि रजक और उनके गुट ने प्रशासनिक तंत्र को पूरी तरह पंगु बना दिया है, और बिना उच्चस्तरीय जांच के सच्चाई सामने नहीं आ सकती।

EOU और ACB की चुप्पी सवालों के घेरे में

अब तक आर्थिक अपराध इकाई (EOU) और भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) ने इस प्रकरण में कोई कार्रवाई नहीं की है। यदि जांच एजेंसियां सक्रिय हों, तो इस पूरे ‘रजक सिंडिकेट’ का परत-दर-परत खुलासा हो सकता है।

राजेश रजक व अन्य के खिलाफ उच्च न्यायालय में दायर मामला

हाईकोर्ट में लंबित मामले : सरवन कुमार और अवधेश कुमार भी घेरे में

राज्य के उच्च न्यायालय में राजेश रजक के साथ विभाग के दो वरिष्ठ अभियंताओं — सरवन कुमार और अवधेश कुमार — के खिलाफ भी मामले दर्ज हैं। इससे विभाग की प्रतिष्ठा को गहरा धक्का लगा है।

अब क्या करेगा प्रशासन?

सवाल बड़ा है — क्या मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन इस भ्रष्टाचार के खिलाफ सख्त कार्रवाई करेंगे?

समय की मांग है:

  • सभी संदिग्ध टेंडरों की स्वतंत्र जांच एजेंसी से जांच
  • राजेश रजक को तत्काल निलंबित कर विभागीय कार्रवाई
  • CBI/ED से DA जांच
  • दोषी अधिकारियों की बर्खास्तगी और आपराधिक मामला दर्ज
  • मंत्री दीपिका पांडे से राजनीतिक जवाबदेही तय करने की मांग

जनता पूछ रही है — क्या झारखंड में ‘जीरो टॉलरेंस फॉर करप्शन’ सिर्फ नारा है?

अगर इस मामले में भी सरकार चुप रही, तो यह झारखंड के प्रशासन और शासन की सबसे बड़ी नाकामी बन जाएगी। राजेश रजक जैसे अफसरों को संरक्षण देकर व्यवस्था को सड़ाया नहीं जा सकता। अब समय है — सख्त कार्रवाई का।

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