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गुआ खदान में ठेका मजदूर की दर्दनाक मौत, सुरक्षा मानकों की खुली उड़ाई गई धज्जियां

रोते बिलखते मृतक के परिजन

बिना सुरक्षा उपकरण के कराया जा रहा था काम, 6 फीट ऊंचाई से गिरकर हुई मौत, मजदूर संगठन ने उठाई 20 लाख मुआवजा और स्थायी नौकरी की मांग।

रिपोर्ट : संदीप गुप्ता / शैलेश सिंह।

सेल की गुआ खदान के जीरो प्वाइंट एरिया में गुरुवार की सुबह एक हृदयविदारक दुर्घटना में एक ठेका मजदूर की जान चली गई। मृतक की पहचान कानू चाम्पिया (बालिक है या नाबालिक, उम्र को लेकर सस्पेंस), पिता – चोन्द्रो चाम्पिया, ग्राम ठकुरा निवासी के रूप में हुई है। वह निर्माणाधीन भवन में कार्य कर रहा था, जब यह हादसा हुआ।

मृतक मजदूर का शव

सूत्रों के अनुसार, सुबह करीब 9:00 बजे कानू चाम्पिया भवन की दीवार पर करीब 6 फीट की ऊंचाई से पानी डाल रहा था। इसी दौरान असंतुलन बिगड़ने से वह नीचे गिर पड़ा। गिरते वक्त उसका सिर एक पत्थर से टकरा गया, जिससे मौके पर ही उसकी दर्दनाक मौत हो गई। घायल अवस्था में उसे गुआ अस्पताल ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

सुरक्षा व्यवस्था नदारद, ठेकेदार और प्रबंधन की बड़ी लापरवाही

घटना के बाद गुस्साए मजदूरों और श्रमिक नेताओं ने निर्माण स्थल पर सुरक्षा मानकों की पूरी तरह से अनदेखी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। बताया जा रहा है कि मजदूरों से बिना किसी सुरक्षा उपकरण—जैसे हेलमेट, बेल्ट, दस्ताने या सेफ्टी शूज—के खतरनाक ढंग से काम कराया जा रहा था। यह स्पष्ट रूप से ठेकेदार और प्रबंधन की घोर लापरवाही को उजागर करता है।

अस्पताल में जमें मजदूर व सेलकर्मी

रिकॉर्ड से गायब था मजदूर, बी रजिस्टर और इंश्योरेंस तक नहीं !

मजदूर नेता रामा पांडेय ने इस दुखद घटना पर गहरी संवेदना व्यक्त करते हुए इसे मजदूरों के साथ हो रहे अन्याय और शोषण का प्रत्यक्ष उदाहरण बताया। उन्होंने बताया कि मृतक कानू चाम्पिया का नाम सेल या ठेकेदार के रिकॉर्ड में दर्ज नहीं था, जिससे यह आशंका बलवती हो जाती है कि उसका नाम बी रजिस्टर में भी नहीं था और उसे कोई बीमा सुरक्षा नहीं दी गई थी।

रामा पांडेय ने कहा, “यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि ठेकेदार व प्रबंधन मिलकर मजदूरों से गैर-कानूनी और असुरक्षित तरीके से कार्य कराते हैं। कुछ मजदूरों का नाम रजिस्टर में होता है, कुछ को बिना रिकॉर्ड काम पर रख लिया जाता है, जो श्रम कानून का खुला उल्लंघन है।”

स्थायी नौकरी और 20 लाख मुआवजे की मांग

मजदूर संगठनों ने मृतक के परिजनों के लिए न्याय की मांग करते हुए कहा है कि गुआ खदान में एक आश्रित को स्थायी नौकरी दी जाए और परिजनों को 20 लाख रुपये मुआवजा प्रदान किया जाए। साथ ही उच्च स्तरीय जांच कर दोषी ठेकेदार और प्रबंधन अधिकारियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।

रामा पांडेय ने चेतावनी दी कि यदि मजदूर के परिवार को शीघ्र मुआवजा और नौकरी नहीं दी जाती है, तो मजदूर संगठन आंदोलन के लिए बाध्य होंगे।

मजदूरों में आक्रोश, गुआ में आंदोलन की आशंका

घटना के बाद गुआ क्षेत्र के मजदूरों में भारी आक्रोश है। वे इसे एक और “मैनेजमेंट-ठेकेदार गठजोड़ की हत्या” मान रहे हैं। मजदूर संगठनों ने चेताया है कि यदि जल्द ही मुआवजा और न्याय नहीं मिला, तो गुआ खदान में व्यापक विरोध प्रदर्शन होगा।

रोते बिलखते मृतक के परिजन

यह सिर्फ एक हादसा नहीं, सिस्टम पर सवाल है

कानू चाम्पिया की मौत यह बताने के लिए काफी है कि देश की खनन परियोजनाओं में मजदूरों की सुरक्षा केवल कागजों में है। बिना सुरक्षा उपकरणों के काम कराना, रिकॉर्ड में नाम दर्ज न करना, बीमा का अभाव—ये सभी प्रबंधकीय अपराध हैं, जिनकी कीमत एक मजदूर ने अपनी जान देकर चुकाई है।

निष्कर्ष:

गुआ खदान में हुई यह घटना झारखंड में खनन परियोजनाओं में मजदूरों की बदहाल स्थिति का गंभीर उदाहरण है। मजदूर की मौत के लिए जिम्मेदार ठेकेदार और प्रबंधन की जवाबदेही तय करना न सिर्फ कानूनी जरूरत है, बल्कि नैतिक जिम्मेदारी भी है। मृतक के परिजनों को न्याय और सुरक्षा सुनिश्चित करना अब सरकार व प्रशासन की प्राथमिकता होनी चाहिए।

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