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कोल्हान नितिर तुरतुंग की वार्षिक आमसभा में गूंजा शिक्षा का संकल्प: बच्चों की बुनियादी शिक्षा से लेकर युवाओं के भविष्य तक हुई गंभीर चर्चा ।

चाईबासा में आयोजित केएनटी की पांचवीं वार्षिक आम बैठक में शिक्षा, रोजगार, स्वरोजगार, प्रशिक्षण, संगठन की मजबूती और वित्तीय योजना पर हुई खुली बातचीत; देशभर से जुटे प्रतिनिधियों ने साझा किया अपना अनुभव और दृष्टिकोण ।

 

विशेष संवाददाता, चाईबासा

आदिवासी समाज की बेहतरी, शिक्षा, स्वावलंबन और नेतृत्व क्षमता को विकसित करने की दिशा में सक्रिय सामाजिक संस्था कोल्हान नितिर तुरतुंग (KNT) की पांचवीं वार्षिक आमसभा 8 जून 2025 को चाईबासा के सनशाइन होटल में अत्यंत गरिमामय और सशक्त रूप में आयोजित की गई।

इस बैठक में देशभर से KNT से जुड़े सदस्य, प्रतिनिधि, शिक्षाविद, प्रशासनिक अधिकारी, सामाजिक कार्यकर्ता और युवा बड़ी संख्या में उपस्थित रहे। दीप प्रज्वलन और महापुरुषों को श्रद्धांजलि अर्पण कर इस बैठक की शुरुआत की गई। कार्यक्रम में बिरसा मुंडा, डॉ. अंबेडकर और ज्योतिबा फुले के विचारों को आदर्श मानते हुए शिक्षा और सामाजिक न्याय की दिशा में नई रणनीति पर गहन चर्चा की गई।

कार्यक्रम का शुभारंभ: आदर्शों को नमन, संकल्पों की शुरुआत

कार्यक्रम की औपचारिक शुरुआत संस्था के संरक्षक एवं कार्यक्रम के मुख्य अतिथि श्री कामेश्वर तिरिया (निदेशक, वित्त-बजट, रेलवे मंत्रालय, भारत सरकार, नई दिल्ली) द्वारा की गई। उन्होंने बिरसा मुंडा, अंबेडकर और फुले की तस्वीरों पर माल्यार्पण कर और दीप जलाकर कार्यक्रम का उद्घाटन किया।

कार्यक्रम में उपस्थित छात्र-छात्राओं द्वारा प्रस्तुत स्वागत गीत और सदस्यों द्वारा पुष्पगुच्छ से मेहमानों का स्वागत किया गया, जिससे माहौल भावनात्मक और प्रेरणादायक बन गया।

वार्षिक समीक्षा और उपलब्धियों की प्रस्तुति

संस्था के केन्द्रीय अध्यक्ष माझीराम जामुदा ने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि केएनटी ने पिछले एक वर्ष में 500 से अधिक युवाओं को शिक्षा, प्रशिक्षण और करियर मार्गदर्शन उपलब्ध कराया। उन्होंने कहा कि संस्था तीन प्रमुख केंद्रों – चाईबासा, चक्रधरपुर और कुचाई – के माध्यम से न सिर्फ शैक्षणिक बल्कि सामाजिक और सांस्कृतिक सशक्तिकरण का कार्य भी कर रही है।

उन्होंने संस्था की स्थापना से लेकर वर्तमान तक के कार्यों की विस्तृत जानकारी साझा की। रिपोर्ट में बताया गया कि:

  • डिजिटल शिक्षा हेतु कंप्यूटर, लैपटॉप और स्मार्ट बोर्ड की व्यवस्था की गई।
  • ग्रामीण छात्रों के लिए पुस्तकालय और अध्ययन केंद्र की स्थापना की गई।
  • स्थानीय युवाओं को स्वरोजगार प्रशिक्षण, जैसे कंप्यूटर कोर्स, टेलरिंग, ब्यूटीशियन, मोबाइल रिपेयरिंग आदि में प्रशिक्षित किया गया।

युवाओं के लिए शिक्षा और नेतृत्व की भूमिका

केन्द्रीय अध्यक्ष ने कहा,

“हमारा उद्देश्य सिर्फ पढ़ाना नहीं, बल्कि एक ऐसे नेतृत्वकर्ता युवाओं को तैयार करना है जो समाज को दिशा दे सकें। आज के बच्चे ही कल के आदिवासी समाज के रीढ़ होंगे।”

उन्होंने यह भी कहा कि बुनियादी शिक्षा के साथ-साथ सॉफ्ट स्किल्स, व्यक्तित्व विकास, भाषा दक्षता और प्रतियोगी परीक्षा की तैयारी भी संस्था के एजेंडे में है।

संरक्षक की बात: वित्तीय मजबूती ही स्थायित्व का आधार

संस्था के संरक्षक श्री ज्ञान सिंह दोराईबुरु ने कहा कि संस्था को स्वतंत्र और दीर्घकालिक योजनाओं के लिए आत्मनिर्भर बनना होगा। उन्होंने संस्था के लिए स्थायी फंडिंग मॉडल, जन सहयोग, सीएसआर फंड, और सदस्यता शुल्क जैसे विकल्पों पर विचार रखने की सलाह दी।

उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि प्रत्येक केंद्र अपने कार्यों की वित्तीय पारदर्शिता बनाए रखे ताकि दाताओं और शुभचिंतकों का विश्वास बना रहे।

महासचिव का सुझाव: शिक्षण-प्रशिक्षण में नवाचार

महासचिव प्रेम सिंह डांगिल ने कहा कि अब समय आ गया है कि KNT मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण और आधुनिक तकनीकों को अपनाए। उन्होंने सुझाव दिया:

  • अध्ययन केंद्रों में मल्टीमीडिया लर्निंग
  • काउंसलिंग और करियर गाइडेंस सेंटर
  • शिक्षा में स्टूडेंट सेंटरिक एप्रोच
  • गांव-गांव लीडरशिप क्लब बनाकर युवाओं को नेतृत्व कौशल में प्रशिक्षित किया जाए।

प्रतिनिधियों की रिपोर्ट और क्षेत्रीय कार्य

बैठक में तीनों केंद्रों (चाईबासा, कुचाई, चक्रधरपुर) के प्रतिनिधियों ने पिछले वर्ष के कार्यों की विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की। इसमें शामिल था:

  • 700 से अधिक विद्यार्थियों को निशुल्क पाठ्य सामग्री वितरण
  • 20 से अधिक प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन
  • लड़कियों के लिए सुरक्षा जागरूकता कार्यक्रम
  • सामुदायिक मुद्दों पर आधारित नुक्कड़ नाटक और पोस्टर अभियान

प्रतिनिधियों ने कहा कि स्थानीय संसाधनों और सहयोग से बहुत कुछ किया जा सकता है, यदि योजना और क्रियान्वयन सही दिशा में हो।

विशिष्ट अतिथियों के सुझाव और प्रेरणा

बैठक में उपस्थित आयूब स्कूल के निदेशक प्रधान बिरूवा ने कहा कि संस्था को सबसे पहले बेसिक एजुकेशन पर केंद्रित करना चाहिए। उन्होंने कहा,

“अगर नींव मजबूत होगी तो समाज का भवन कभी नहीं डगमगाएगा। हमें सबसे पहले बच्चों को अक्षर ज्ञान, भाषा, विज्ञान और सामाजिक चेतना से जोड़ना होगा।”

प्रवीण कुमार गगराई (डीडीसी), साधुचरण देवगम (बीडीओ), नरेंद्र कुदादा (रजिस्ट्रार, बिरसा कृषि विश्वविद्यालय), प्रो. आल्डा (महिला कॉलेज, चाईबासा), बैंक अधिकारी सुनिता कुंटिया, आदि ने भी अपने-अपने अनुभव साझा करते हुए KNT के कार्यों की प्रशंसा की और सहयोग का आश्वासन दिया।

सम्मान समारोह और संवाद

बैठक में 60 वर्ष से अधिक आयु के वरिष्ठजनों को विशेष सम्मान, नए सदस्यों को सदस्यता प्रमाणपत्र, और शिक्षा में उत्कृष्ट योगदान के लिए शिक्षकों को प्रशस्तिपत्र प्रदान किया गया।

कार्यक्रम के दौरान अतिथियों से खुली चर्चा और सवाल-जवाब सत्र भी आयोजित हुआ जिसमें सदस्यों ने अपनी जिज्ञासाएं साझा कीं और मार्गदर्शन प्राप्त किया।

सांस्कृतिक गरिमा और मीडिया रिपोर्टिंग

पूरे कार्यक्रम का संचालन वरिष्ठ सदस्य नंदलाल बांकिरा ने मधुर शैली में किया। उनके प्रेरक वाक्यों ने पूरे कार्यक्रम को ऊर्जावान बनाए रखा। स्थानीय मीडियाकर्मियों ने कार्यक्रम की रिपोर्टिंग, फोटोग्राफी, और वीडियोग्राफी के माध्यम से दस्तावेजीकरण किया।

अध्यक्ष का आभार और भविष्य की रणनीति

अंत में केन्द्रीय अध्यक्ष माझीराम जामुदा ने सभी उपस्थितजनों, अतिथियों, सदस्यों और देशभर से सहयोग कर रहे शुभचिंतकों को धन्यवाद देते हुए कहा—

“इस बार की वार्षिक बैठक हमारे लिए एक संकल्प सभा साबित हुई है। अब हमें इस संगठन को राष्ट्रव्यापी आदिवासी शिक्षा आंदोलन में बदलना है। हम सब साथ मिलकर इसे करेंगे।”

उन्होंने कहा कि जल्द ही संस्था ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफॉर्म, मोबाइल ऐप और डिजिटल सहयोग मंच की योजना पर काम शुरू करेगी।

 

देशभर से जुटे प्रतिनिधि और समर्थन

इस बैठक में दिल्ली, कोलकाता, हैदराबाद, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, सिंगरौली आदि राज्यों से शिक्षा प्रेमी उपस्थित रहे, जिनमें प्रमुख नाम थे—

  • शैलेश कंडाईबुरू (दिल्ली)
  • जोसेफ जारिका (छत्तीसगढ़)
  • बिरसा सामाड (हैदराबाद)
  • उत्पल लागुरी (सिंगरौली) आदि। इन सभी ने संस्था की दिशा और दशा पर सकारात्मक विचार रखे और सहयोग का भरोसा दिलाया।

निष्कर्ष: शिक्षा ही असली परिवर्तन का साधन

KNT की यह वार्षिक आमसभा केवल एक समीक्षा नहीं बल्कि आदिवासी समाज के विकास की नयी दिशा तय करने का मंच बनकर सामने आई। शिक्षा, नेतृत्व और आर्थिक सशक्तिकरण के जो सूत्र यहां प्रस्तुत किए गए, वे आने वाले समय में कोल्हान ही नहीं बल्कि पूरे झारखंड के युवाओं के भविष्य को उज्ज्वल दिशा देंगे।

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