गुवा क्षेत्र में विस्थापन को लेकर उबाल, ग्रामीणों ने सामूहिक बैठक कर रखी दो टूक शर्तें – ‘न्याय, पुनर्वास और मानवाधिकार के साथ ही स्वीकार्य होगा कोई भी विकास’
गुवा संवाददाता।
गुवा स्थित सेल की लीज क्षेत्र से अतिक्रमण हटाने की प्रक्रिया के खिलाफ शुक्रवार देर शाम नानक नगर और ढीपा साईं के सैकड़ों ग्रामीणों ने गुवा बाजार में एक आपातकालीन सामूहिक बैठक की। इस बैठक की अध्यक्षता नोवामुंडी भाग एक की जिला परिषद सदस्य देवकी कुमारी ने की। बैठक में सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया कि जब तक पुनर्वास और सर्वेक्षण प्रक्रिया पारदर्शी और न्यायसंगत नहीं होती, तब तक ग्रामीण संगठित रूप से विरोध जारी रखेंगे।
सेल ने चस्पा किया नोटिस, एक सप्ताह में खाली करने का अल्टीमेटम
गौरतलब है कि सेल प्रबंधन ने गुवा की लीज क्षेत्र में स्थित नानक नगर, ढीपा साईं, स्टेशन कॉलोनी, पुट साइडिंग, डीबी क्षेत्र, डिबीसी सब स्टेशन, जाटाहाटिंग और पंचायत भवन क्षेत्र को अतिक्रमण की श्रेणी में चिन्हित करते हुए 10 दिन पूर्व अखबार में नोटिस प्रकाशित किया था। अब शुक्रवार को इन क्षेत्रों में एक बार फिर नोटिस चिपकाकर एक सप्ताह के भीतर घर खाली करने का अल्टीमेटम दे दिया गया है।
प्रबंधन की ओर से कहा गया है कि जो लोग वैध रूप से विस्थापित की श्रेणी में आते हैं, वे सेल कार्यालय से संपर्क कर वैकल्पिक घर की चाबी प्राप्त कर सकते हैं। इस घोषणा के बाद क्षेत्र में असमंजस और असंतोष की स्थिति बन गई है।
“हम विकास विरोधी नहीं, लेकिन अधिकारों की बलि भी नहीं देंगे” – ग्रामीणों की स्पष्ट चेतावनी
बैठक में उपस्थित ग्रामीणों ने दो टूक शब्दों में कहा कि वे विकास के विरोधी नहीं हैं, लेकिन उनके मौलिक अधिकारों की अनदेखी कर जबरन विस्थापन किसी भी हाल में स्वीकार्य नहीं है। ग्रामीणों की मांग है कि—
विस्थापन प्रक्रिया के सभी नियमों का सख्ती से पालन किया जाए।
एक बार फिर निष्पक्ष सर्वेक्षण कर वास्तविक विस्थापितों की पहचान की जाए।
उन्होंने यह भी कहा कि यदि विस्थापन अपरिहार्य है, तो पहले वैकल्पिक आवास और पुनर्वास की समुचित व्यवस्था सुनिश्चित की जाए। जब तक यह नहीं होता, कोई भी ग्रामीण स्वेच्छा से घर खाली नहीं करेगा।
“सेल 184 परिवारों को घर दे रही है, लेकिन सैकड़ों छूटे हुए हैं” – देवकी कुमारी
जिप सदस्य देवकी कुमारी ने कहा, “गुवा क्षेत्र में विस्थापितों की संख्या कई सौ है, लेकिन सेल प्रबंधन महज 184 लोगों को ही वैकल्पिक आवास दे रही है। इससे बड़ी संख्या में उन लोगों के साथ अन्याय हो रहा है जो वर्षों से यहां निवास कर रहे हैं। आश्चर्यजनक रूप से कुछ नए लोगों को घर मिल रहे हैं, जिनका यहां कोई पुराना अस्तित्व नहीं है।”
उन्होंने यह भी चेताया कि यदि सेल प्रबंधन ने पुनः सर्वे नहीं कराया और सही विस्थापितों को प्राथमिकता नहीं दी, तो जनप्रतिनिधि और स्थानीय जनता एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करने को बाध्य होंगे। इसकी सम्पूर्ण जिम्मेदारी सेल प्रबंधन की होगी।
“यह केवल ज़मीन का नहीं, न्याय और मानवीय गरिमा का प्रश्न है”
बैठक में वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि यह मसला केवल जमीन खाली कराने का नहीं, बल्कि पूरे समुदाय के मानवाधिकार, सम्मान और न्याय का सवाल है। विस्थापन की कोई भी कार्रवाई बिना पारदर्शिता और संवेदनशीलता के की जाती है तो वह सामाजिक शांति और प्रशासनिक विश्वसनीयता – दोनों को नुकसान पहुंचाएगी।
ग्रामीणों का सामूहिक संकल्प: “एकजुट रहेंगे, न्याय की लड़ाई लड़ेगे”
बैठक का सबसे बड़ा निष्कर्ष यह रहा कि जब तक विस्थापन की प्रक्रिया पूरी पारदर्शिता, ईमानदारी और न्याय के साथ नहीं होती, तब तक ग्रामीण एकजुट और संगठित रहकर विरोध दर्ज कराते रहेंगे। लोगों ने कहा कि वे किसी भी स्थिति में बिना वैकल्पिक व्यवस्था के अपने घर खाली नहीं करेंगे।
निष्कर्ष:
गुवा क्षेत्र में अतिक्रमण हटाने और पुनर्वास को लेकर जो स्थिति बन रही है, वह प्रशासन, प्रबंधन और आमजन – तीनों के धैर्य, समझदारी और संवेदनशीलता की परीक्षा है। यह ज़रूरी है कि किसी भी विकास योजना को लागू करने से पहले उसके सामाजिक पक्षों का गहन मूल्यांकन किया जाए। अन्यथा गुवा एक बार फिर असंतोष और संघर्ष का केंद्र बन सकता है।