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जाटाहाटिंग में मादक पदार्थों के खिलाफ महिलाओं ने संभाली कमान, चलाया जागरूकता अभियान

 

गुवा की बस्तियों में निकाली रैली, नशा से दूर रहने की दिलाई शपथ

गुवा, संवाददाता ।
गुवा के जाटाहाटिंग बस्ती में शुक्रवार को नशा के खिलाफ एक सशक्त और प्रभावशाली जागरूकता अभियान चलाया गया। यह अभियान झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाइटी (जेएसएलपीएस) से जुड़ी महिलाओं द्वारा संचालित किया गया। अभियान का मुख्य उद्देश्य मादक पदार्थों जैसे शराब, गुटखा, तंबाकू, मारिजुआना आदि के दुष्परिणामों से लोगों को अवगत कराना और समाज में इसके खिलाफ जनजागरूकता फैलाना था।

गली-मोहल्लों में निकाली गई रैली

अभियान की शुरुआत जाटाहाटिंग बस्ती के गली-मोहल्लों में रैली के माध्यम से की गई। हाथों में नशा विरोधी नारों से सजे पोस्टर और बैनर लिए महिलाओं ने स्थानीय लोगों से अपील की कि वे किसी भी प्रकार के मादक पदार्थों से दूर रहें और दूसरों को भी इसके लिए प्रेरित करें।

मादक पदार्थों से होने वाले दुष्प्रभावों पर दी गई जानकारी

जेएसएलपीएस की जागरूक महिलाओं ने इस दौरान उपस्थित लोगों को बताया कि मादक पदार्थों का सेवन केवल व्यक्तिगत स्वास्थ्य के लिए ही नहीं, बल्कि परिवार और समाज के लिए भी घातक है। शराब, तंबाकू और अन्य नशीली चीजों का नियमित और दीर्घकालीन सेवन करने से व्यक्ति शारीरिक और मानसिक रूप से कई प्रकार की बीमारियों से ग्रसित हो सकता है।

उन्होंने विस्तार से समझाया कि—

मानसिक प्रभाव: बार-बार नशे के सेवन से अवसाद, उत्तेजना, आक्रामकता और पागलपन जैसे मानसिक विकार उत्पन्न हो सकते हैं।

हृदय व श्वसन तंत्र पर असर: मादक द्रव्य हृदय की गति को असामान्य बनाते हैं और हृदयाघात का खतरा बढ़ाते हैं। धूम्रपान से फेफड़ों का कैंसर, ब्रोंकाइटिस और अस्थमा जैसी समस्याएं होती हैं।

प्रतिरक्षा प्रणाली पर प्रभाव: नशा शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को कमजोर करता है, जिससे व्यक्ति बार-बार बीमार पड़ता है और संक्रमणों का खतरा बढ़ जाता है।

संक्रमण की आशंका: नशे की लत में लोग संक्रमित सुई साझा करते हैं, जिससे HIV और हेपाटाइटिस जैसे गंभीर रोग हो सकते हैं।

मस्तिष्क और पोषण पर प्रभाव: लगातार नशा करने से मस्तिष्क की सोचने-समझने की शक्ति प्रभावित होती है और शरीर में पोषक तत्वों का अवशोषण घट जाता है, जिससे कुपोषण जैसी समस्याएं जन्म लेती हैं।

मौखिक स्वास्थ्य का ह्रास: नशीले पदार्थ दाँतों व मसूड़ों को नुकसान पहुँचाते हैं, जिससे व्यक्ति को बार-बार दांत दर्द और अन्य मौखिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है।

महिलाओं ने ली नशा से दूर रहने की शपथ

कार्यक्रम के अंत में उपस्थित सभी महिलाओं ने एक स्वर में शपथ ली कि वे स्वयं कभी मादक पदार्थों का सेवन नहीं करेंगी और अपने आस-पड़ोस के लोगों को भी इसके खिलाफ जागरूक करेंगी। शपथ में यह भी शामिल था कि वे अपने बच्चों, परिजनों और समाज के अन्य युवाओं को नशे के प्रति सजग करते हुए उन्हें बेहतर जीवन जीने की प्रेरणा देंगी।

सामूहिक प्रयास से ही रुकेगा नशे का फैलाव

अभियान में शामिल महिलाओं ने कहा कि मादक पदार्थों की लत अब केवल शहरों तक सीमित नहीं रही, बल्कि ग्रामीण और आदिवासी इलाकों में भी यह तेजी से फैल रही है। इस पर नियंत्रण पाने के लिए जरूरी है कि समाज के हर वर्ग विशेषकर महिलाएं आगे आएं और परिवार, गांव और समुदाय को इस बुराई से बचाएं।

प्रशासन और पंचायत से सहयोग की अपील

जेएसएलपीएस की महिलाओं ने प्रशासन और पंचायत प्रतिनिधियों से अपील की कि वे गांवों में नशा मुक्ति केंद्रों की स्थापना करें और नियमित रूप से ऐसे जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन सुनिश्चित करें। साथ ही स्कूलों और समुदाय भवनों में युवाओं को नशे से दूर रखने के लिए विशेष अभियान चलाए जाएं।

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