ओडिशा-झारखंड सीमा पर नक्सली साजिश नाकाम, कोबरा जवान घायल, कई इलाकों में विस्फोटक छिपाने की आशंका
रिपोर्ट : शैलेश सिंह
नक्सलियों की एक बड़ी साजिश को नाकाम करते हुए सुरक्षा बलों ने सारंडा के घने जंगलों में लूटे गए भारी मात्रा में विस्फोटकों में से एक बड़ा हिस्सा बरामद कर लिया है। यह सफलता उस वक्त मिली जब ओडिशा से डेढ़ टन विस्फोटकों से लदे ट्रक को लूटकर नक्सली सारंडा के जंगलों में घुसे थे। इस मामले को गंभीरता से लेते हुए झारखंड और ओडिशा पुलिस ने संयुक्त रूप से कार्रवाई करते हुए सर्च ऑपरेशन चलाया और नक्सलियों के मंसूबों पर तगड़ा प्रहार किया।
नक्सलियों ने ट्रक लूटकर की थी बड़ी साजिश
यह घटना ओडिशा के राउरकेला जिले के केबलंग थाना क्षेत्र की है, जहां बांको पत्थर खदान की ओर जा रहा विस्फोटकों से भरा ट्रक नक्सलियों के निशाने पर आ गया। विश्वसनीय सूत्रों के अनुसार, हथियारबंद नक्सलियों ने ट्रक को जबरन रोककर चालक को बंधक बना लिया और वाहन को सारंडा की ओर मोड़ दिया। इसके बाद वे ट्रक को सीधे पश्चिमी सिंहभूम जिले के ओडिशा सीमा से लगा तिरिलपोसी क्षेत्र के घने जंगलों में ले गए।
संयुक्त सर्च ऑपरेशन: विस्फोटकों की बरामदगी बड़ी सफलता
घटना की जानकारी मिलते ही झारखंड और ओडिशा की पुलिस अलर्ट मोड में आ गई। कोबरा कमांडो, सीआरपीएफ, झारखंड जगुआर व ओडिशा पुलिस के संयुक्त बलों ने तिरिलपोसी समेत कई इलाकों में सघन सर्च ऑपरेशन शुरू किया। इस अभियान के दौरान सुरक्षाबलों को नक्सलियों द्वारा छिपाए गए विस्फोटकों का एक बड़ा हिस्सा बरामद हुआ।
मुठभेड़ में कोबरा जवान घायल, फिर भी नहीं रुकी कार्रवाई
सर्च अभियान के दौरान सुरक्षाबलों की टुकड़ी का सामना नक्सलियों के एक दस्ते से हुआ। दोनों पक्षों के बीच जमकर गोलीबारी हुई, जिसमें कोबरा बटालियन का एक जवान घायल हो गया। उसे हेलिकॉप्टर के माध्यम से रांची के अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उसकी हालत स्थिर बताई जा रही है। बावजूद इसके, ऑपरेशन को निरंतर जारी रखा गया और इलाके में छानबीन को और तेज किया गया।
विस्फोटक को कई टुकड़ों में बांटकर छिपाया गया है !
सूत्रों की मानें तो नक्सलियों ने ट्रक से उतारे गए विस्फोटकों को एक जगह न रखकर रणनीतिक रूप से अलग-अलग इलाकों में छिपा दिया है। तिरिलपोसी, टोयबो, बाबूडेरा, नूरदा और राटामाटी जैसे दुर्गम जंगलों और पहाड़ी क्षेत्रों में इन्हें विभाजित कर छिपाया गया हो सकता है। बरामद किए गए विस्फोटकों की मात्रा को लेकर सुरक्षा बलों ने गोपनीयता बनाए रखी है, लेकिन अधिकारी सूत्र का कहना है कि यह एक बड़ी बरामदगी है और आगे की कार्रवाई से शेष विस्फोटकों की भी जल्द बरामदगी हो सकती है।
पुलिस की सक्रियता और गुप्त सूचना से मिली कामयाबी
इस पूरे अभियान की सबसे अहम कड़ी रही सुरक्षा एजेंसियों को मिली गुप्त जानकारी और उनकी सतर्कता। पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने बेहद सुनियोजित ढंग से जंगल में अभियान चलाया और इलाके की भौगोलिक स्थिति को ध्यान में रखते हुए धीरे-धीरे घेरेबंदी की। स्थानीय खुफिया तंत्र और ग्रामीणों से मिली सूचनाओं ने भी ऑपरेशन को मजबूती दी।

रणनीतिक दृष्टि से संवेदनशील इलाका बना सारंडा
सारंडा का घना जंगल लंबे समय से नक्सलियों का गढ़ रहा है। पहाड़ी, दुर्गम और घने वृक्षों से आच्छादित यह क्षेत्र सुरक्षा बलों के लिए चुनौतीपूर्ण रहा है। नक्सली अक्सर इस इलाके में छिपकर अपनी गतिविधियों को अंजाम देते रहे हैं। विस्फोटकों की इतनी बड़ी खेप की बरामदगी यह संकेत है कि वे भविष्य में किसी बड़ी घटना की तैयारी में थे।
अब आगे क्या?
सुरक्षा बलों की उपस्थिति और बढ़ाई जा रही है।
सारंडा जंगल और आसपास के क्षेत्रों में स्थायी कैंप स्थापित करने की योजना।
स्थानीय ग्रामीणों के सहयोग से खुफिया नेटवर्क को और मजबूत करने पर जोर।
नक्सल विरोधी अभियानों को और गति देने की तैयारी।
वर्ष 2026 तक सारंडा को नक्सल मुक्त करने का लक्ष्य
निष्कर्ष: सख्त निगरानी और तीव्र कार्रवाई से बदले समीकरण
इस अभियान ने यह साबित कर दिया कि नक्सलियों के मंसूबों को अब पहले जैसी छूट नहीं मिलने वाली। सुरक्षाबलों की तत्परता और आपसी समन्वय के चलते एक बड़ी साजिश को वक्त रहते नाकाम कर दिया गया है। पुलिस की इस सफलता को सिर्फ एक ऑपरेशन नहीं, बल्कि नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में सरकार की मजबूती के प्रतीक के रूप में देखा जा रहा है।
यह घटना एक बार फिर यह स्पष्ट कर गई कि नक्सली अब भी सक्रिय हैं और लगातार नई रणनीतियों के साथ सामने आ रहे हैं। लेकिन इससे बड़ी बात यह है कि सुरक्षा बल अब हर मोर्चे पर पूरी ताकत और तैयारियों के साथ उन्हें टक्कर देने को तैयार हैं।