प्रमुख गुड्डी देवी ने उपायुक्त को पत्र लिखकर जांच और कार्रवाई की मांग की, कहा– लाभुकों को दिए गए कमजोर व बीमार पशु, बीमा का भी नहीं मिला लाभ
सरायकेला संवाददाता ।
कुचाई प्रखंड में चल रही पशु वितरण योजना पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं। प्रखंड प्रमुख गुड्डी देवी ने प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी मोनिका मार्डी और सप्लायर पर बकरा और सूकर वितरण में भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार का आरोप लगाया है। इस संबंध में उन्होंने उपायुक्त, सरायकेला-खरसवाँ को एक लिखित शिकायत भेजते हुए मामले की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है।
छोटे जानवर बांटकर हो रही है खानापूर्ति!
गुड्डी देवी ने अपने पत्र में लिखा है कि प्रखंड के पशुपालन विभाग द्वारा जो पशु लाभुकों को वितरित किए जाते हैं, वे अत्यंत छोटे और कमजोर होते हैं। इनकी हालत इतनी खराब होती है कि वितरण के दो-तीन दिनों के अंदर ही वे दम तोड़ देते हैं। उन्होंने कहा कि लाभुकों की शिकायतों पर जब उन्होंने स्वयं हस्तक्षेप किया, तो वितरण का स्थान बदलकर किसी सुदूरवर्ती इलाके में कर दिया गया, जहां जनप्रतिनिधियों या अधिकारियों की निगरानी नहीं पहुंच पाती।
बीमा का दावा झूठा, लाभुकों को नहीं मिला मुआवजा
प्रमुख गुड्डी देवी ने यह भी कहा कि जब मर चुके पशुओं के विषय में सप्लायर या अधिकारी से सवाल किया जाता है तो यह कहकर पल्ला झाड़ लिया जाता है कि इनका बीमा हुआ है। लेकिन हकीकत यह है कि आज तक किसी लाभुक को बीमा का एक रुपया भी नहीं मिला है। उन्होंने आरोप लगाया कि यह सब केवल रिकॉर्ड में आंकड़े भरने और पैसे की हेराफेरी के लिए किया जा रहा है।
पशुपालन पदाधिकारी हमेशा ‘गायब’, फोन भी नहीं उठातीं
शिकायत में यह भी उल्लेख है कि प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी मोनिका मार्डी अपने कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से लापरवाह हैं। वे अक्सर प्रखंड से गायब रहती हैं और न ही वे फोन रिसीव करती हैं। जब भी पशु वितरण का कार्यक्रम होता है, तभी वे प्रकट होती हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि वे केवल ‘डिस्ट्रीब्यूशन डे’ के लिए मौजूद रहती हैं, जिससे उनकी भूमिका पर गहरे सवाल उठते हैं।
मांग: दोनों को हटाकर दूसरे पदाधिकारी की प्रतिनियुक्ति की जाए
प्रखंड प्रमुख ने उपायुक्त से मांग की है कि इस पूरे प्रकरण की निष्पक्ष जांच कराते हुए प्रखंड पशुपालन पदाधिकारी मोनिका मार्डी और सप्लायर दोनों पर कड़ी कार्रवाई की जाए। साथ ही, दोनों को हटाकर कुचाई प्रखंड में किसी योग्य और ईमानदार पशुपालन पदाधिकारी की नियुक्ति की जाए, ताकि प्रखंड में पारदर्शिता और विकास सुनिश्चित हो सके।
स्थानीय लोगों में भी आक्रोश
पशु वितरण योजना को लेकर लगातार शिकायतों के बाद स्थानीय ग्रामीणों में भी भारी आक्रोश है। उनका कहना है कि योजना केवल कागजों पर चल रही है। वास्तविक लाभ मिलने के बजाय, उन्हें मृत पशुओं की जिम्मेदारी ढोनी पड़ रही है। बीमा जैसी बात केवल झांसा है, जिसका जमीनी स्तर पर कोई अस्तित्व नहीं है।
निष्कर्ष
कुचाई प्रखंड में पशुपालन विभाग की कार्यशैली पर उठे ये गंभीर आरोप एक बड़े घोटाले की ओर इशारा कर रहे हैं। यदि समय रहते प्रशासन ने हस्तक्षेप नहीं किया, तो सरकारी योजनाओं की विश्वसनीयता और आम जनता का विश्वास दोनों ही खतरे में पड़ सकते हैं। अब देखना यह है कि जिला प्रशासन इस मामले में कितनी गंभीरता दिखाता है और दोषियों पर क्या कार्रवाई करता है।