प्रदेश अध्यक्ष केशव कमलेश की अध्यक्षता में सरायकेला-खरसवां जिले में पदाधिकारियों की बैठक, संगठन विस्तार के साथ 26 मई को राजभवन घेराव की तैयारी
प्रखंड से लेकर प्रदेश तक संगठन को नई ऊर्जा देने की रणनीति
विशेष संवाददाता, सरायकेला
झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष केशव कमलेश एवं राज्नेय प्रभारी के राजू ने सरायकेला-खरसवां जिले के कांग्रेस पदाधिकारियों व कार्यकर्ताओं के साथ महत्वपूर्ण बैठक की। इस दौरान उन्होंने संगठन सृजन-2025 के तहत किए जा रहे कार्यों की समीक्षा करते हुए स्पष्ट किया कि पार्टी का फोकस अब जमीनी स्तर पर मजबूत संगठनात्मक ढांचे के निर्माण पर है।
प्रदेश अध्यक्ष ने कहा कि पंचायत से लेकर जिला और प्रदेश स्तर तक सभी कार्यकर्ताओं को एक स्पष्ट जिम्मेदारी दी गई है। प्रखंड और मंडल स्तर पर अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और महासचिवों की नियुक्ति की प्रक्रिया तेज की जा रही है। उन्होंने कहा, “प्रत्येक मंडल कमेटी में एक अध्यक्ष, दो उपाध्यक्ष और नौ महासचिव होंगे। इन पदों पर एसटी, एससी, ओबीसी, अल्पसंख्यक और महिलाओं को समुचित प्रतिनिधित्व दिया जाएगा।”
छह प्रखंडों में कमेटी गठन पूरा, शेष तीन दिन में प्रक्रिया पूर्ण करने का लक्ष्य
सरायकेला-खरसवां जिले के कुल 12 प्रखंडों में से छह प्रखंडों में पहले ही कमेटियों का गठन कर लिया गया है। शेष छह प्रखंडों में अगले तीन दिनों के भीतर कमेटियों का गठन कर लिया जाएगा। इसके बाद जिला अध्यक्ष व पर्यवेक्षक संयुक्त रूप से प्रखंडों में जाकर नव-नियुक्त पदाधिकारियों को नियुक्ति पत्र सौंपेंगे, ताकि उन्हें संगठन में सम्मानपूर्वक शामिल किया जा सके।
कमलेश ने कहा कि अब संगठन में लंबी-चौड़ी औपचारिक कमेटियों की बजाय कार्यशील व सक्रिय टीम पर ज़ोर दिया जा रहा है। उन्होंने बताया, “प्रखंड और मंडल स्तर पर 12-12 सदस्यीय कमेटी, जिला स्तर पर 24 सदस्यीय और प्रदेश स्तर पर 48 सदस्यीय कमेटी का गठन होगा।”
संगठन में वही मिलेगा स्थान जो सिद्धांतों के प्रति निष्ठावान
प्रदेश अध्यक्ष ने साफ किया कि कांग्रेस अब ऐसे कार्यकर्ताओं को ही संगठन में स्थान देगी जो पार्टी के सिद्धांतों के प्रति वफादार हों और संगठन की गतिविधियों में सक्रिय रूप से भाग लेते हों। “यह वक्त है उन लोगों को सामने लाने का जो वर्षों से निष्ठापूर्वक पार्टी के लिए काम कर रहे हैं। अवसरवादियों के लिए अब कांग्रेस में कोई जगह नहीं बची है,” उन्होंने दो टूक कहा।
26 मई को सरना कोड के समर्थन में राजभवन के समक्ष धरना-प्रदर्शन
संगठन विस्तार के साथ-साथ कांग्रेस अब आदिवासी अस्मिता के सवालों को लेकर भी आक्रामक रणनीति अपना रही है। कमलेश ने घोषणा की कि 26 मई को रांची स्थित राजभवन के समक्ष सरना धर्म कोड की मांग को लेकर विशाल धरना-प्रदर्शन किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि झारखंड एक आदिवासी बहुल राज्य है और यहां के आदिवासी प्रकृति के उपासक हैं। उनके पूजा स्थल जल, जंगल, जमीन, नदी, नाला, पहाड़, मारंगबुरु और सरना स्थल होते हैं, लेकिन उन्हें अभी तक कोई आधिकारिक धर्म कोड नहीं दिया गया है।
राज्य विधानसभा ने पारित किया प्रस्ताव, केन्द्र सरकार मौन क्यों?
कमलेश ने केन्द्र सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि झारखंड विधानसभा पहले ही सर्वसम्मति से सरना धर्म कोड का प्रस्ताव पारित कर चुकी है, लेकिन केन्द्र सरकार अब तक इस पर कोई निर्णय नहीं ले रही है। “केन्द्र सरकार की चुप्पी इस बात का संकेत है कि वह आदिवासियों की भावना को समझना ही नहीं चाहती,” उन्होंने कहा।
उन्होंने यह भी कहा कि झारखंड के राज्यपाल, जो केन्द्र द्वारा मनोनीत हैं, उन्हें भी ज्ञापन सौंपा जाएगा और इस मुद्दे पर ध्यान देने को कहा जाएगा। यदि इसके बाद भी केन्द्र सरकार नहीं जागी, तो झारखंड कांग्रेस के सभी मंत्री, विधायक, पदाधिकारी और कार्यकर्ता दिल्ली के जंतर-मंतर पर जाकर बड़ा आंदोलन करेंगे।
जातीय जनगणना की तरह सरना कोड पर भी केन्द्र को झुकना होगा
प्रदेश अध्यक्ष ने जातीय जनगणना के मुद्दे को उदाहरण के रूप में रखते हुए कहा कि कांग्रेस नेता राहुल गांधी के लगातार प्रयासों के बाद ही केन्द्र सरकार को जातीय जनगणना पर झुकना पड़ा। उन्होंने विश्वास जताया कि सरना धर्म कोड के मामले में भी भाजपा को अंततः बैकफुट पर आना पड़ेगा।
कमलेश ने कहा, “हमारा आंदोलन शांतिपूर्ण लेकिन मजबूत होगा। यह झारखंड के आदिवासियों की आत्मा और अस्मिता से जुड़ा प्रश्न है। हम इसे किसी भी सूरत में छोड़ने वाले नहीं हैं।”
नवगठित कमेटियों को दी जाएगी विशेष जिम्मेदारी
प्रदेश नेतृत्व का मानना है कि प्रखंड, मंडल और जिला स्तर पर जो नई कमेटियाँ गठित हो रही हैं, वे न सिर्फ संगठन को मजबूत करेंगी बल्कि सरना कोड सहित अन्य जनहित के मुद्दों पर कांग्रेस की जनसंपर्क और आंदोलनात्मक क्षमता को भी बढ़ाएंगी। कमलेश ने कहा कि आने वाले दिनों में पंचायत और वार्ड स्तर पर भी सक्रिय समितियों का गठन होगा जो पार्टी को ज़मीनी स्तर पर मजबूत बनाएगा।
आदिवासी अस्मिता और संगठनात्मक मजबूती—दोहरे मोर्चे पर सक्रिय कांग्रेस
इस बैठक से स्पष्ट संकेत मिल रहे हैं कि झारखंड कांग्रेस अब संगठन को नये सिरे से खड़ा करने के साथ-साथ आदिवासी अधिकारों के मुद्दों पर आक्रामक आंदोलन की राह पकड़ चुकी है। जहां एक ओर पार्टी जमीनी स्तर पर कार्यकर्ताओं को संगठित कर रही है, वहीं दूसरी ओर दिल्ली तक अपनी आवाज पहुँचाने के लिए तैयार है।
प्रदेश अध्यक्ष के नेतृत्व में कांग्रेस अब आदिवासी अस्मिता, जल-जंगल-जमीन के सवाल और सामाजिक न्याय के एजेंडे पर केंद्र सरकार से सीधी टक्कर लेने की रणनीति अपना रही है। आने वाले दिनों में यह आंदोलन और संगठन, दोनों स्तरों पर राज्य की सियासत को प्रभावित कर सकता है।