संगठन ने वर्षों से उठाई थी मांग, श्रम और इस्पात मंत्रालय को दी गई थी सशक्त दस्तक; अब मिला न्याय
रिपोर्ट : शैलेश सिंह / संदीप गुप्ता
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ की लंबी लड़ाई हुई सफल
खदान को स्टील संयंत्र से अलग कर पुनः RMD (Raw Materials Division) में शामिल किए जाने के निर्णय ने झारखंड मजदूर संघर्ष संघ (JMSS) में खुशी की लहर दौड़ा दी है। यह वही संगठन है जो वर्षों से खदान के अधिकार और आत्मनिर्णय के लिए संघर्षरत रहा है।
संयंत्र के अधीन होते ही खदान का स्वायत्तता हुआ था खत्म
खदान को जबरन संयंत्र के अधीन कर दिए जाने से उसकी निर्णयात्मक स्वायत्तता लगभग समाप्त हो गई थी। खदान से जुड़े किसी भी मुद्दे पर चर्चा नहीं होती थी और न ही कर्मचारियों की राय ली जाती थी। परिणामस्वरूप खदान में असंतोष और आक्रोश फैल गया था। खदान की मांगों को नजरअंदाज किया जाता रहा और व्यवहार हमेशा सौतेला रहा।
राज्यसभा सांसद डोला सेन के नेतृत्व में रखी गई थी बात
इस स्थिति को देखते हुए राज्यसभा सांसद सुश्री डोला सेन के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने तत्कालीन इस्पात मंत्री से मुलाकात की थी। झारखंड मजदूर संघर्ष संघ की ओर से संयुक्त महामंत्री श्री सुनील कुमार पासवान ने खदान की समस्याओं और NJCS (National Joint Committee for Steel) में भागीदारी की मांग पर विस्तृत पत्र सौंपा था।
इस्पात मंत्री ने दिया था आश्वासन, अब दिख रहा है परिणाम
मंत्री ने सेल और मंत्रालय के स्तर पर सकारात्मक पहल करने का आश्वासन दिया था, जिसका प्रतिफल आज सामने आया है। देर जरूर हुई, परन्तु संघर्ष सफल हुआ।
ID एक्ट के तहत दर्ज मामलों से बढ़ा दबाव
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ ने ID ACT के अंतर्गत दो प्रमुख केस – Case No. 5/20/2024 और 5/21/2024 – दर्ज कराए थे। इसमें खदान के साथ हो रहे भेदभाव और NJCS में भागीदारी से वंचित किए जाने का विरोध दर्ज कराया गया था। संगठन ने अपने पत्र संख्या JMSS/KIOM/62/2024 और JMSS/70/2025 के जरिए श्रम मंत्रालय का ध्यान इस ओर खींचा था।
विवादास्पद NJCS पर उठाए सवाल
संघ ने NJCS की वैधता पर भी सवाल उठाए। संगठन का आरोप है कि NJCS एक अवैध संस्था है जिसका कोई वैधानिक पंजीकरण नहीं है। 2017 में इसी संस्था द्वारा तय वेतन समझौते को भी संघ ने श्रम मंत्रालय में चुनौती दी है और उसे अवैध करार देने की मांग की है।
खदान को NMDC के अधीन लाने की भी रखी गई थी मांग
झारखंड मजदूर संघर्ष संघ ने NJCS में खदान को प्रतिनिधित्व देने या खदान को सीधे NMDC (National Mineral Development Corporation) के अधीन लाने की मांग की थी, जिससे स्वतंत्र निर्णय और स्वायत्तता बहाल हो सके।
हर मोर्चे पर लड़ी गई लड़ाई
चाहे श्रम मंत्रालय हो या इस्पात मंत्रालय, चाहे सेल चेयरमैन हों या बोकारो प्रबंधन, झारखंड मजदूर संघर्ष संघ ने हर मंच पर अपनी बात पुरजोर तरीके से रखी। अंततः संघ की यह वर्षों पुरानी मांग अब साकार हो चुकी है।
नेताओं ने जताया आभार
इस निर्णय पर झारखंड मजदूर संघर्ष संघ के केंद्रीय अध्यक्ष श्री रमा पाण्डे, महामंत्री किरीबुरु श्री राजेंद्र सिंधिया और महामंत्री मेघाहातुबुरू श्री अफताब आलम ने इस्पात मंत्री और मंत्रालय को धन्यवाद दिया है। साथ ही राज्यसभा सांसद डोला सेन का भी विशेष रूप से आभार प्रकट किया गया है।
भविष्य के लिए संदेश
यह निर्णय न केवल खदान के लिए एक नई शुरुआत है, बल्कि यह दर्शाता है कि श्रमिक संगठन अगर संगठित हों और निरंतर प्रयास करें तो बड़े से बड़े प्रशासनिक निर्णय को भी प्रभावित किया जा सकता है।