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राजाबांध के पुनर्जीवन से लौटेगी हरियाली

 

सांसद कालीचरण मुंडा की पहल पर सिंचाई परियोजना को मिली नई सांस, अड़की प्रखंड के पांच गांवों को मिलेगा लाभ

सरायकेला- संवाददाता
खूंटी जिला अंतर्गत अड़की प्रखंड के किसानों के लिए राहत भरी खबर सामने आई है। वर्षों से सूखे की मार झेल रहे गोड़प्पा, जरंगा, सोसोकुटी, किताडीह और लेम्बा गांवों में अब हरियाली लौटने की उम्मीद जगी है। क्षेत्रीय सांसद कालीचरण मुंडा की पहल पर ऐतिहासिक राजाबांध और उससे जुड़ी नहर का शीघ्र जीर्णोद्धार किया जाएगा, जिससे लंबे समय से बाधित सिंचाई व्यवस्था फिर से सुचारु हो सकेगी।

राजाबांध का स्थल निरीक्षण, अधिकारियों संग बनाई पुनर्निर्माण योजना

सोमवार को सांसद कालीचरण मुंडा ने राजाबांध का स्थल निरीक्षण किया। उनके साथ लघु सिंचाई विभाग के कार्यपालक अभियंता सरोज कुमार, सहायक अभियंता, अड़की प्रखंड विकास पदाधिकारी गणेश महतो, सांसद प्रतिनिधि मो. नईमुद्दीन खां और स्थानीय जनप्रतिनिधि सोनाराम अहिर भी मौजूद थे। जंगल और पहाड़ी रास्तों से गुजरते हुए दल ने बांध तक पहुंचकर स्थिति का बारीकी से अवलोकन किया।

अभियंता सरोज कुमार ने बताया कि यदि बांध की ऊंचाई छह फीट बढ़ाई जाए और करीब दो किलोमीटर लंबी पक्की नहर का पुनर्निर्माण किया जाए, तो पांचों गांवों में रबी फसल की सिंचाई संभव हो सकेगी।

सांसद ने दिए त्वरित कार्रवाई के निर्देश

निरीक्षण के दौरान सांसद मुंडा ने अधिकारियों को निर्देशित किया कि जीर्णोद्धार से संबंधित सभी कागजी कार्यवाहियां शीघ्र पूरी की जाएं। उन्होंने यह भी आश्वासन दिया कि वे स्वयं विभागीय सचिव और राज्य सरकार से समन्वय स्थापित कर इस परियोजना को जल्द धरातल पर उतारने का प्रयास करेंगे।

राजाबांध: इतिहास के पन्नों से वर्तमान तक

करीब 90 वर्षीय पूर्व ग्रामप्रधान लक्ष्मण मुंडा ने बताया कि इस बांध का इतिहास आजादी से पहले का है। दिवड़ी व तमाड़ के राजा साहेब शिकार के सिलसिले में गोड़प्पा जंगल आया करते थे। एक बार उन्होंने नाले में जल का बहाव देखकर स्थानीय ग्रामीणों की मदद से राजाबांध और उससे जुड़ी नहर का निर्माण करवाया। इससे क्षेत्र के कई गांवों में खुशहाली आई थी।

इंदिरा गांधी तक पहुंची थी किसानों की आवाज, फिर भी उपेक्षित रहा बांध

लक्ष्मण मुंडा ने बताया कि 1980 के दशक में जब देश में सूखा पड़ा, तब ग्रामीणों ने तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी को पत्र लिखकर नहर की मरम्मत की मांग की थी। हालांकि उस समय कोई ठोस पहल नहीं हो सकी। झारखंड राज्य बनने के बाद वर्ष 2008 में बांध क्षेत्र में कुछ कार्य अवश्य हुए, लेकिन नहर की मरम्मत अधूरी ही रह गई।

अब लौटेगी गांवों में समृद्धि और हरियाली

ग्रामसभा में बोलते हुए लक्ष्मण मुंडा ने सांसद के प्रयास की सराहना की और कहा कि यदि यह परियोजना सफल होती है, तो वर्षों बाद गांवों में फिर से हरियाली लौटेगी और किसान आत्मनिर्भर बन सकेंगे। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ बांध का जीर्णोद्धार नहीं, बल्कि एक पूरे क्षेत्र के भविष्य को संवारने की दिशा में उठाया गया महत्वपूर्ण कदम है।

स्थानीय ग्रामीणों में उत्साह, सरकार से शीघ्र कार्य शुरू करने की अपील

ग्रामीणों ने सांसद की इस पहल की सराहना करते हुए राज्य सरकार से आग्रह किया है कि राजाबांध और नहर का पुनर्निर्माण कार्य यथाशीघ्र प्रारंभ किया जाए, ताकि आगामी रबी फसल के मौसम से पहले सिंचाई सुविधा बहाल हो सके। यह परियोजना न सिर्फ कृषि उत्पादन को बढ़ाएगी, बल्कि क्षेत्र की आर्थिकी को भी नया जीवन देगी।

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