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गुवा आयरन माइंस में खतरनाक हालात: मज़दूर यूनियन ने उठाई गंभीर चिंताएं

 

मशीनों की जर्जर स्थिति, चिकित्सा सुविधा की कमी और कर्मचारियों की उपेक्षा से बढ़ रहा हादसों का खतरा

रिपोर्ट : शैलेश सिंह
गुवा आयरन माइंस में कार्यरत मज़दूरों की समस्याओं को लेकर ‘यूनाइटेड मिनरल वर्कर्स यूनियन’, गुवा के महासचिव रमेश गोप, सीटू बोकारो के महासचिव बी डी प्रसाद आदि के नेतृत्व में यूनियन के पदाधिकारियों ने एक पत्र के माध्यम से बीएसएल के शीर्ष अधिकारियों Executive Director (Mines) विकास मनवाती, Executive Director (HR) राजेश्वरी बनर्जी, गुआ माइंस के मुख्य महाप्रबंधक कमल भास्कर, GM (HR) परवीन सिंह, GM (Estate) अर्नब दे, CGM (HR) धीरेन्द्र मिश्रा, डॉक्टर इंद्रनील चौधरी (M&HS) और अन्य उच्चाधिकारी का ध्यान आकर्षित किया है। यूनियन का आरोप है कि खान की वर्तमान स्थिति न केवल श्रमिकों की सुरक्षा के लिए खतरा बन चुकी है, बल्कि पूर्व में दी जा रही कई सुविधाओं को भी पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है।

1. उत्पादन बहाल, मगर मज़दूरों की बहाली नहीं

संघ ने आरोप लगाया कि गुवा आयरन माइंस में उत्पादन का कार्य पुनः आरंभ कर दिया गया है, लेकिन जिन श्रमिकों की पहले नियुक्ति होनी थी, उन्हें अब तक कार्य पर नहीं बुलाया गया है। इससे क्षेत्र में बेरोजगारी और असंतोष दोनों बढ़े हैं।

2. खस्ताहाल मशीनें बनीं जानलेवा

यूनियन का कहना है कि खान में कार्यरत कई मशीनें अत्यंत पुरानी और खराब स्थिति में हैं। विशेष रूप से ‘सेवल डम्पर ड्राइवर इंजीनियर’ जैसी मशीनें जर्जर अवस्था में हैं, जिनके कारण किसी भी समय गंभीर दुर्घटनाएँ हो सकती हैं। यूनियन ने मांग की है कि इन मशीनों को तुरंत बदला जाए या उनकी उचित मरम्मत करवाई जाए।

3. गुवा अस्पताल पर भी सवाल, ग्रामीणों की जान जोखिम में

गुवा अस्पताल में चिकित्सा व्यवस्था पहले से ही सीमित थी, लेकिन अब हालत और भी बदतर हो गई है। स्थानीय ग्रामीणों को इलाज के लिए उचित उपकरण और डॉक्टर उपलब्ध नहीं हो पा रहे हैं। यूनियन ने यह मुद्दा भी उठाया कि आधुनिक तकनीकों के बिना गंभीर मरीजों का इलाज संभव नहीं हो पा रहा है।

4. संविदा कर्मियों की सुविधाएँ भी छीनी गईं

पूर्व में संविदा (ठेका) कर्मचारियों को जो सुविधाएं कंपनी प्रबंधन द्वारा दी जाती थीं — जैसे कि समान वेतन, मेडिकल सुविधा और अन्य लाभ — उन्हें अब पूरी तरह समाप्त कर दिया गया है। यूनियन ने इस फैसले को अन्यायपूर्ण बताया और इसकी बहाली की मांग की।

5. प्रबंधन से तत्काल कार्रवाई की माँग

यूनियन के महासचिव रमेश गोप ने पत्र में स्पष्ट रूप से लिखा कि यदि प्रबंधन ने इन बिंदुओं पर शीघ्र ध्यान नहीं दिया, तो यूनियन भविष्य में बड़ा आंदोलन करने को बाध्य होगी। यूनियन ने खासकर मजदूरों की सुरक्षा और अधिकारों को प्राथमिकता देने की अपील की है। प्रबंधन ने मजदूरों की मांगों को पूरा करने का भरोसा दिया है।

निष्कर्ष:

गुवा आयरन माइंस में चल रही अनियमितताएं और श्रमिकों की अनदेखी, आने वाले समय में एक बड़े औद्योगिक संकट का संकेत दे रही हैं। यदि समय रहते इन समस्याओं का समाधान नहीं किया गया, तो इससे न केवल मजदूरों का मनोबल टूटेगा, बल्कि औद्योगिक उत्पादन भी बुरी तरह प्रभावित हो सकता है।

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