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छऊ की समृद्ध परंपरा को संजीवनी देने की पहल: मनोज चौधरी ने राज्यपाल से की मुलाकात

 

राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र के पुनर्गठन और कलाकारों के संरक्षण हेतु सौंपा गया स्मार पत्र

सरायकेला, संवाददाता:
विश्वविख्यात अमूर्त सांस्कृतिक धरोहर सरायकेला छऊ नृत्य की परंपरा को सहेजने और भावी पीढ़ी तक पहुंचाने की दिशा में मनोज कुमार चौधरी के नेतृत्व में सार्थक प्रयास जारी है। सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के संरक्षक और राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र, सरायकेला के सलाहकार सदस्य मनोज चौधरी ने छऊ नृत्य और इससे जुड़े कलाकारों के संरक्षण और संवर्धन की मांगों को लेकर झारखंड के राज्यपाल श्री संतोष गंगवार से रांची स्थित राजभवन में मुलाकात की।

कलाकारों को मिला पहचान और सम्मान, अब संरचना सुधार की मांग

मनोज चौधरी ने बताया कि छऊ कलाकारों के हित में सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के अध्यक्ष भोला महांती, सचिव सुदीप कवि एवं अन्य कलाकारों के साथ मिलकर वह वर्षों से सक्रिय हैं। सामूहिक प्रयासों के चलते चैत्र पर्व 2025 में पहली बार जिला प्रशासन द्वारा अधिकतर कलाकारों को मंच और सम्मान मिला। यह बदलाव उनके सतत प्रयासों का ही परिणाम है।

राज्यपाल को सौंपा गया स्मार पत्र, रखी गईं ये प्रमुख मांगें

राज्यपाल श्री गंगवार को सौंपे गए स्मार पत्र में कई महत्वपूर्ण बिंदुओं को शामिल किया गया, जिनमें निम्नलिखित मांगे प्रमुख हैं:

1961 में स्थापित राजकीय छऊ नृत्य कला केंद्र को पुनः व्यवस्थित कर सक्रिय बनाने की आवश्यकता।
छोटे-छोटे बच्चों (नौनिहालों) को छऊ नृत्य का प्रशिक्षण देने हेतु सरकारी प्रोजेक्ट के तहत नियमित प्रशिक्षण कार्यक्रम शुरू करने की पहल।
कला केंद्र में निदेशक सहित सभी रिक्त पदों पर स्थायी नियुक्ति की मांग।
संविदा आधारित योग्य प्रशिक्षकों (नृत्य शिक्षक, वाद्य यंत्र शिक्षक, पोशाक, मुखौटा निर्माण, अंग भरण आदि) की जल्द नियुक्ति की अपील।
काशी साहू विश्वविद्यालय में छऊ विषयक पाठ्यक्रम की शुरुआत कर अकादमिक मान्यता देने की मांग।

छऊ कला को विश्व मंच पर ले जाने का सपना

मनोज चौधरी ने कहा कि छऊ नृत्य न केवल एक पारंपरिक कला है बल्कि यह झारखंड की सांस्कृतिक पहचान है, जिसे उचित संरक्षण और सरकारी सहयोग मिले तो यह विश्व मंच पर और अधिक सम्मान पा सकता है। उन्होंने राज्यपाल से आग्रह किया कि इस दिशा में ठोस पहल करते हुए राज्य सरकार को आवश्यक निर्देश दें।

कलाकारों में जागी उम्मीद की किरण

इस मुलाकात के बाद छऊ कलाकारों में नए सिरे से उम्मीद जगी है कि उनकी कला को एक बार फिर सम्मान और भविष्य मिलेगा। श्री चौधरी का यह प्रयास न केवल एक सांस्कृतिक पहल है बल्कि कलाकारों के सम्मान, आजीविका और अस्तित्व से जुड़ा संघर्ष भी है।

राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र के पुनर्गठन की ओर बड़ा कदम
कलाकारों को मिलेगी पहचान और सहायता, कला-संस्कृति निदेशक से साकारात्मक वार्ता

सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन के संरक्षक मनोज कुमार चौधरी ने राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र को व्यवस्थित करने के लिए झारखंड सरकार के निदेशक, कला-संस्कृति विभाग, आईएएस श्री आसिफ एकराम से मुलाकात की। यह मुलाकात सकारात्मक रही और उम्मीद जताई जा रही है कि इसके सार्थक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे।

श्री चौधरी ने बताया कि सरायकेला छऊ आर्टिस्ट एसोसिएशन से जुड़े लगभग 60 से 70 कलाकार प्रतिदिन राजकीय छऊ नृत्य कलाकेंद्र में नि:शुल्क सेवाएं दे रहे हैं। इन कलाकारों की निष्ठा और समर्पण को नमन करते हुए उन्होंने कहा कि यह कला के प्रति उनकी अटूट आस्था और समर्पण का प्रतीक है।

संरक्षक ने उम्मीद जताई कि सरकार की ओर से किसी उपयुक्त प्रोजेक्ट के माध्यम से इन कलाकारों को जल्द आर्थिक सहायता भी प्राप्त होगी, जिससे छऊ नृत्य की परंपरा और गौरव को और अधिक सुदृढ़ किया जा सकेगा।

छऊ के विकास को लेकर सरकार और कलाकारों की साझा प्रतिबद्धता सराहनीय है।

समाप्ति पर चौधरी ने दी यह प्रतिक्रिया

राज्यपाल से मुलाकात के बाद चौधरी ने कहा, “छऊ हमारी आत्मा है। हम इसे विलुप्त नहीं होने देंगे। सरकार से यही अपेक्षा है कि वह हमारी विरासत को बचाने में संवेदनशीलता दिखाए।”

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