सरायकेला में कुड़मि समाज की बैठक, गृह मंत्री को पत्र भेजकर महिला तस्करी और सुनियोजित धर्म परिवर्तन की आशंका जताई गई
सरायकेला- सरायकेला जिले के नीमडीह प्रखंड अंतर्गत झिमड़ी गांव की एक कुड़मि युवती रीता महतो के कथित रूप से अपहरण और जबरन धर्मांतरण के मामले ने तूल पकड़ लिया है। इस मुद्दे को लेकर शुक्रवार को आदिवासी कुड़मि समाज की एक आपात बैठक सर्किट हाउस सरायकेला में आयोजित की गई, जिसकी अध्यक्षता प्रदेश उपाध्यक्ष मनोहर महतो ने की। बैठक में समाज के विभिन्न प्रतिनिधियों ने घटना को “सुनियोजित षड्यंत्र” करार देते हुए इसे गंभीर सामाजिक और सांस्कृतिक संकट बताया।
बैठक में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे आदिवासी कुड़मि समाज के संयोजक (मुलखुंटी मुलमान्ता) अजीत प्रसाद महतो ने कहा, “हमारी कुड़मि बहनें सहज-सरल स्वभाव की होती हैं, जिसका लाभ उठाकर कुछ तत्व उन्हें बहकाकर धर्म परिवर्तन जैसी अमानवीय घटना को अंजाम देते हैं। यह न केवल निंदनीय है, बल्कि समाज की अस्मिता पर हमला है।”
विवाह का झांसा देकर अपहरण और धर्मांतरण का आरोप
प्राप्त जानकारी के अनुसार, 19 वर्षीय रीता महतो को दिनांक 26 अप्रैल को मोहम्मद तस्लीम अंसारी नामक व्यक्ति पश्चिम बंगाल ले गया, जहां उसका धर्म परिवर्तन कर उसे “फिजा खातून” बना दिया गया। कुड़मि समाज का आरोप है कि तस्लीम अंसारी पहले से विवाहित है और तीन बच्चों का पिता है। ऐसे में विवाह का उद्देश्य सिर्फ दिखावा था और असली मकसद धर्मांतरण एवं संभावित महिला तस्करी हो सकता है।
केंद्रीय गृहमंत्री को पत्र, उपायुक्त को सौंपा गया ज्ञापन
बैठक में सर्वसम्मति से तय किया गया कि इस घटना की निष्पक्ष और केंद्रीय स्तर से जांच होनी चाहिए। इसके लिए केंद्रीय गृह मंत्री को एक पत्र लिखा गया जिसे उपायुक्त के माध्यम से भेजा गया। पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि तस्लीम अंसारी का स्थायी पता स्पष्ट नहीं है और रीता का धर्म परिवर्तन संबंधी सभी दस्तावेज पश्चिम बंगाल से जारी किए गए हैं, जिससे मामले में साजिश की आशंका और गहरी हो गई है।
समाज का कहना है कि यह मामला सामान्य प्रेम-प्रसंग का नहीं, बल्कि व्यापक स्तर पर सक्रिय कट्टरपंथी ताकतों द्वारा समाज की सांस्कृतिक जड़ों को कमजोर करने का षड्यंत्र हो सकता है। कुड़मि समाज को आशंका है कि इस घटनाक्रम में कुछ सफेदपोशों की भी भूमिका हो सकती है, जो पर्दे के पीछे रहकर ऐसी गतिविधियों को संरक्षण दे रहे हैं।
धर्मांतरण के विरुद्ध एकजुटता की अपील
बैठक के दौरान वक्ताओं ने यह भी कहा कि इस प्रकार की घटनाएं सिर्फ एक समाज विशेष पर नहीं, बल्कि पूरे झारखंड की अस्मिता और अस्तित्व पर प्रश्नचिह्न हैं। समाज ने इस घटना को राष्ट्रीय मुद्दा बताते हुए सभी आदिवासी और मूलवासी संगठनों से एकजुट होने की अपील की।
महिला तस्करी की भी जताई गई आशंका
प्रवक्ता अधिवक्ता सुनील कुमार गुलिआर ने कहा कि इस मामले में महिला तस्करी के एंगल को भी नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकता। देशभर में जिस तरह से धर्मांतरण और महिला तस्करी के कॉकटेल की घटनाएं सामने आ रही हैं, उससे यह जरूरी हो जाता है कि इस पूरे मामले की सीबीआई या एनआईए जैसी केंद्रीय एजेंसी से जांच कराई जाए।
कुड़मि समाज के कई प्रतिनिधि रहे मौजूद
बैठक में आदिवासी कुड़मि समाज के महासचिव सुनील कुमार गुलिआर, केंद्रीय सहसचिव जयराम महतो, प्रदेश संगठन सचिव संजीव महतो, युवा मोर्चा के केंद्रीय अध्यक्ष विश्वजीत महतो, गुणधाम मुतरुआर, प्रभात कुमार महतो, बासुदेव महतो, गुहीराम महतो, राकेश रंजन, वशिष्ठ नारायण बांसरिआर, महादेव महतो, दुर्गा महतो, तपन कुमार महतो, मनोज कुमार महतो, कैलाश महतो सहित कई प्रमुख पदाधिकारी उपस्थित थे।
समाप्ति और चेतावनी
बैठक में यह चेतावनी भी दी गई कि यदि इस घटना की निष्पक्ष और केंद्रीय जांच शीघ्र नहीं हुई तो समाज चरणबद्ध आंदोलन के लिए बाध्य होगा। कुड़मि समाज ने स्पष्ट कहा कि वे अपनी संस्कृति, बहनों और सामाजिक अस्तित्व की रक्षा के लिए किसी भी स्तर तक संघर्ष करने को तैयार हैं।