रांची।
आज झारखंड ही नहीं, देशभर में फैले करोड़ों आदिवासी, मूलवासी और सामाजिक न्याय के पक्षधर लोगों के मार्गदर्शक, दिशोम गुरु शिबू सोरेन के अंतिम दर्शन कर श्रद्धा-सुमन अर्पित किया गया।
पूर्व मुख्यमंत्री चम्पई सोरेन ने गहरे भाव से उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा—
“देश में जब-जब आदिवासियों, मूलवासियों और वंचित-पीड़ित समाज के अधिकारों के लिए लड़ने वाले आंदोलनकारियों का जिक्र होगा, दिशोम गुरु शिबू सोरेन का नाम सर्वोपरि रहेगा। वे संघर्ष की प्रतिमूर्ति और झारखंड की आत्मा थे।”
उन्होंने कहा—
“आज हमारी आंखें नम हैं, दिल गमगीन है, लेकिन आपको ‘अंतिम जोहार’ करना हमारे लिए संभव नहीं है। क्योंकि दिशोम गुरु कभी विदा नहीं होते। वे हमारे विचारों, संघर्षों और प्रेरणाओं में हमेशा जीवित रहेंगे।”
चम्पई सोरेन ने यह भी कहा कि—
“दिशोम गुरु का संपूर्ण जीवन सामाजिक न्याय, जल-जंगल-जमीन और आदिवासी अस्मिता की लड़ाई को समर्पित रहा। उनके आदर्श आने वाली पीढ़ियों को प्रेरणा देते रहेंगे। वे केवल एक नेता नहीं, बल्कि एक विचारधारा थे, जो हर झारखंडी के हृदय में जीवित हैं।”
अंत में उन्होंने भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए कहा—
“आपके दिखाए मार्ग पर चलना ही हमारी सच्ची श्रद्धांजलि होगी। आपकी कमी कभी पूरी नहीं हो सकती। अंतिम प्रणाम, अंतिम जोहार, दिशोम गुरु!”